संकट . आपदा-पहले सुखाड़, फिर बाढ़ के कहर से धान उत्पादन पर लगा ग्रहण
लक्ष्य के अनुरूप अब तक नहीं हो पायी है धान की रोपनी
नदियों में आयी बाढ़ से रोपी गयी फसल की हुई भारी क्षति
जहानाबाद : धान की रोपनी शुरू होने के वक्त में किसानों के समक्ष सिंचाई की समस्या थी. लघु और मध्यम वर्गीय किसान बारिश होने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन समुचित बारिश नहीं होने से रोपनी का काम शुरुआती दौर से ही काफी धीमी गति से चल रहा था. किसी तरह किसानों ने अपने-अपने खेतों में धान के बिचड़े तैयार किये और रोपनी का काम शुरू किया था.
इस वर्ष चार हजार 900 हेक्टेयर भूमि में धान का बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके विरुद्ध 99 प्रतिशत सफलता हाथ लगी थी. अर्थात चार हजार 834 हेक्टेयर जमीन पर बिचड़े तैयार किये गये थे. लेकिन रोपनी के लिए सिंचाई जटिल समस्या के रूप में उभरी थी. सामान्य वर्षापात की कमी से किसान आकाश की ओर टकटकी लगाये थे.
परंतु वर्षा की कमी रहने से किसानों के खेत पूरी तरह सूखे थे. ऐसी स्थिति में किसी तरह अबतक 80 प्रतिशत ही धान की रोपनी की जा सकी थी. अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर धान की रोपनी नहीं की जा सकी है. नदियों में तो पानी आया, लेकिन कई इलाके के खेतों तक पानी नहीं पहुंचा, जिससे धान की रोपनी नहीं हो सकी. इसी बीच गत एक सप्ताह के भीतर दो बार नदियों में आयी बाढ़ ने उन इलाकों में तबाही मचा दी, जहां धान का आच्छादन किया गया था. जिले के पूर्वी क्षेत्र घोसी, हुलासगंज एवं मोदनगंज प्रखंड क्षेत्र में फल्गु नदी, तो पश्चिमी इलाके रतनी प्रखंड क्षेत्र के गांवों में मोरहर एवं बलदेइया नदी ने तबाही मचायी. बाढ़ का पानी उन खेतों तक फैल गया, जहां धान की रोपनी की गयी थी. खेतों में आच्छादित धान की फसल पूरी तरह बरबाद हो गयी. लोग अभी पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि फिर से धान की रोपनी की जा सके.
रतनी प्रखंड में हुई भारी क्षति : रतनी प्रखंड क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां के किसान अपनी रोपी गयी धान की फसल को बरबाद होते देख मायूस हैं. प्रखंड क्षेत्र की नेहालपुर पंचायत के सौहरैया, रतनी, मुरहरा, नोआंवा और पंडौल पंचायत क्षेत्र के बड़े रकबे पर रोपी गयी धान की फसल बाढ़ के कारण बरबाद हो गयी है. खास कर मुरहरा और पंडौल पंचायत में ज्यादा क्षति हुई है. उक्त इलाके में बलदेइया और मोरहर नदी में आयी बाढ़ किसानों के लिए अभिशाप साबित हो गयी है. उक्त क्षेत्र के किसान सुखाड़ की स्थिति में वर्षा होने का इंतजार कर रहे थे.
लेकिन उस वक्त पानी की काफी किल्लत रही. किसी तरह किसानों ने धान रोपनी कर अच्छी फसल होने की उम्मीद लगायी थी, जिनके अरमानों पर बाढ़ ने पानी फेर दिया. उक्त दोनों नदियों में इतना पानी आया कि खेतों में फैल जाने से आच्छादित धान की फसल डूब चुकी है. किसान बेहद चिंतित हैं. साथ ही साथ कृषि मजदूरों में भी इस बात को लेकर दु:ख है कि यदि फसल होगी ही नहीं, तो वे काटेंगे क्या और क्या मजदूरी कमायेंगे.
49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का है लक्ष्य :कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में इस बार 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपनी किये जाने का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक मात्र 80 प्रतिशत लक्ष्य की ही प्राप्ति हुई है. इसमें भी बड़ी मात्रा में रोपे गये धान के पौधे बाढ़ के प्रकोप से नष्ट हो चुके हैं. जहानाबाद प्रखंड में 7737 हेक्टेयर, मखदुमपुर में 11863, काको में 8253, रतनी फरीदपुर में 7221, घोसी में 5158, हुलासगंज में 4642 एवं मोदनगंज प्रखंड क्षेत्र में 4126 हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
क्षति का हो रहा आकलन
जिले में अब तक लक्ष्य के विरुद्ध 80 प्रतिशत धान की रोपनी की जा सकी है. बाढ़ से आच्छादित फसल को नुकसान हुआ है. रोपी गयी धान की फसल को बाढ़ से कितनी क्षति हुई है, इसका अभी आकलन किया जा रहा है.
शंकर झा, जिला कृषि पदाधिकारी