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अच्छे व्यापार से ही बदलेंगे हालात : राज्यपाल
रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीकी श्रमशक्ति बहुत तेजी से बढ़ रही है. इसका फायदा देश को मिलेगा. मानव संसाधन समृद्ध होगा, तो व्यापार पर असर दिखेगा. इससे व्यापार के तौर-तरीकों में बदलाव आयेगा. देश के सामाजिक और आर्थिक हालात बदलेंगे. अभी देश के लिए अच्छा समय है. देश […]
रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीकी श्रमशक्ति बहुत तेजी से बढ़ रही है. इसका फायदा देश को मिलेगा. मानव संसाधन समृद्ध होगा, तो व्यापार पर असर दिखेगा. इससे व्यापार के तौर-तरीकों में बदलाव आयेगा. देश के सामाजिक और आर्थिक हालात बदलेंगे. अभी देश के लिए अच्छा समय है. देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा. राज्यपाल शुक्रवार को आर्यभट्ट सभागार में एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैनेजमेंट स्कूल्स (एम्स) के 28वें वार्षिक मैनेजमेंट एजुकेशन कन्वेंशन-2016 में बोल रहीं थीं. प्रभात खबर इस कन्वेंशन का मीडिया पार्टनर है. तीन दिन तक चलने वाले उक्त कन्वेंशन का विषय ट्रांसफॉरमिंग इंडिया इन टू ए नॉलेज सोसाइटी : द रोल ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन है.
आर्थिक मंदी का फायदा उठाने का समय : चांद
नेशनल अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को), भुवनेश्वर के सीएमडी टीके चांद ने कहा कि हर सात साल में अर्थव्यवस्था में बदलाव आता है. अभी 2015 के बाद से अर्थव्यवस्था में गिरावट है. हम सभी स्थायी विकास चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है. अभी स्टील और अल्युमिनियम उद्योग की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन, आर्थिक मंदी का भारत फायदा भी उठा सकता है. 2013-14 में कोकिंग कोल 330 डॉलर प्रति टन था, यह अभी 60 डॉलर हो गया है. कुछ यही स्थिति कच्चे तेल की भी है. इसका फायदा भारत को हो रहा है. यह पहली बार है कि भारत का जीडीपी चीन से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. इससे भारत एक सुपर इकोनॉमिक पावर हो सकता है. इसके लिए कुछ बदलाव जरूरी है. अशिक्षा बड़ी समस्या है. आज भी एक चौथाई लोग अशिक्षित हैं. इससे निबटने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं आगे आकर काम कर रही है. गरीबी हमारे लिए बड़ी चुनौती है. लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने की जरूरत है. इस दिशा में स्किल इंडिया मिशन काम कर रहा है. हमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में टिके रहने के लिए रिसर्च और विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
नहीं बदली शैक्षणिक व्यवस्था : एमके गौतम
यूरोपियन यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट एंड इस्ट, नीदरलैंड के डॉ मोहन के गौतम ने कहा कि इस आदिवासी प्रदेश की शैक्षणिक व्यवस्था में पिछले 50 साल में कोई बदलाव नहीं हुआ है. 1960 में यहां दो व्यवस्था दिखती थी, उसमें बहुत बदलाव नहीं हुआ है. यूरोपियन देशों में बच्चों को शुरू से ही किसी एक विषय के विशेषज्ञ के रूप में तैयार किये जाते हैं. बच्चा क्या करना चाहता है, इसका ख्याल रखा जाता है. यहां ऐसा नहीं है. बिना सामाजिक व्यवस्था को बदले ही आर्थिक विकास चाहते हैं. बिजनेस स्टडी के क्षेत्र में भी विशेषज्ञता का ख्याल रखा जाना चाहिए. मेडिकल का पढ़ाई की तरह व्यापार में भी किसी खास विषय का विशेषज्ञ तैयार किया जाना चाहिए.
देश में अच्छे फैकल्टी की कमी : फिलिप
आइआइएम, बेंगलुरू के पूर्व निदेशक जे फिलिप ने कहा कि प्रबंधन के पीजीडीएम कोर्स को विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं करना चाहिए. इससे इस कोर्स की गुणवत्ता को नुकसान होगा. अभी भी प्रबंधन की पढ़ाई के लिए पूरे देश में अच्छे फैकल्टी की कमी है. प्रबंधन के कोर्स में भी ग्लोबलाइजेशन बड़ा मुद्दा है. इससे इस पढ़ाई में भी काफी बदलाव हो रहे हैं.
उच्च व तकनीकी शिक्षा में तालमेल कम : भगत
रांची विवि के पूर्व कुलपति सह एम्स के अध्यक्ष डॉ एलएन भगत ने कहा कि भारत ज्ञान अाधारित देश के रूप में आगे बढ़ रहा है. इसमें बिजनेस स्कूलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. ज्ञान का फायदा दूसरों को कैसे मिले, इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए. समय-समय पर रोजगार और बेरोजगार दोनों के कौशल संवर्द्धन के लिए प्रयास होना चाहिए. आज उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में तालमेल की काफी कमी है.
प्रबंधन का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान : पांडेय
रांची विवि के कुलपति रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि अगर ज्ञान एक शक्ति है, तो ज्ञान वाला समाज सबसे शक्तिशाली होगा. प्रबंधन का जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करना चाहिए. उदघाटन सत्र में सीएमपीडीआइ के महाप्रबंधक एनके ओझा ने भी विचार रखा. धन्यवाद ज्ञापन रांची विवि के कुलसचिव एके चौधरी ने किया.
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