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विद्युत विभाग में जांच से मची खलबली

मिहिजाम : बिजली विभाग में घूसखोरी और उपभोक्ता को मामले में फंसाने की धमकी को लेकर रांची से दो सदस्यीय टीम ने मिहिजाम पहुंचकर शिकायतकर्ता से पूछताछ की. मिहिजाम के रेलपार निवासी शशि प्रसाद ठाकुर के प्रकरण मामले में रांची से दो सदस्यीय टीम ने झारखंड राज्य में विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधांशु तथा […]

मिहिजाम : बिजली विभाग में घूसखोरी और उपभोक्ता को मामले में फंसाने की धमकी को लेकर रांची से दो सदस्यीय टीम ने मिहिजाम पहुंचकर शिकायतकर्ता से पूछताछ की. मिहिजाम के रेलपार निवासी शशि प्रसाद ठाकुर के प्रकरण मामले में रांची से दो सदस्यीय टीम ने झारखंड राज्य में विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधांशु तथा उमेश प्रसाद सिंह ने शिकायतकर्ता एवं गवाहों से पूछताछ कर रांची लौट गयी. पीड़ित शशि प्रसाद के द्वारा इसकी गुहार झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड रांची के प्रबंधक निदेशक से की गई थी.

निदेशक ने मामले को लेकर दो सदस्यीय टीम को भौतिक जांच के लिए मिहिजाम विद्युत कार्यालय भेजा था. जांच टीम में रांची के अधीक्षण अभियंता सुधांशु तथा उमेश प्रसाद ने मिहिजाम विद्युत कार्यालय पहुंच कर शिकायतकर्ता एवं गवाहों से पूछताछ की. जांच टीम ने शिकायतकर्ता शशि प्रसाद एवं सामाजिक कार्यकर्ता आरती सिन्हा तथा आरोपी कनीय अभिंयता सीताराम चैतंबा का बयान दर्ज कर अपने साथ ले गयी. जांच टीम की जांच से विद्युत विभाग में खलबली मच गयी है. जांच टीम ने मीडिया को कुछ भी बताने से इंकार किया. कहा कि इसकी रिपोर्ट निगम के प्रबंधक निदेशक राहुल पुरवार को सौंपा जायेगा.

क्या है मामला
शिकायतकर्ता शशि प्रसाद के मुताबिक एक ग्रिल दुकान खोलना चाह रहा था, जिसके लिए थ्री फेज लाइन की आवश्यकता थी. विभाग के कनीय अभियंता से संपर्क करने पर निर्देश दिया कि स्थानीय बिजली मिस्त्री रमेश से संपर्क कर उन्हें 27 हजार रुपये दे दें. राशि देने के बाद बिजली का कनेक्शन मिल गया, कनीय अभियंता ने कहा कि आगे की कार्रवाई होते रहेगा बिजली का उपयोग शुरू कर दें. कुछ दिनों के बाद कनीय अभियंता से संपर्क साधने पर और 25 हजार रुपये की मांग की. जिसे मैं देने में असमर्थ था.
कुछ दिन बाद सहायक विद्युत अभियंता प्रभाकर कुमार ने मकान में आकर कहा कि अवैध रूप से बिजली का उपयोग कर रहे हैं इसलिए कनेक्शन काटा जा रहा है. प्रभाकर कुमार ने अपना मोबाइल नंबर देकर कहा आवास पर आकर मिलें नहीं तो प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. मुलाकात करने पर सहायक अभियंता ने 60 हजार रुपये की मांग रखी. इतनी बड़ी रकम देना संभव नहीं था. अभियंता प्रभाकर को दो किस्तों में 15 हजार रुपये दे दिए, लेकिन वे इस पर नहीं मानें. मामले की शिकायत उपायुक्त से किया गया था.

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