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स्कॉर्पियन दस्तावेज लीक मामले में नेवी ने फ्रांस आयुध महानिदेशालय से की बात

नयी दिल्ली : भारतीय नौसेना ने आज कहा कि उसने फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय के समक्ष स्कॉर्पियन दस्तावेज लीक होने का मुद्दा उठाया है. नौसेना ने फ्रेंच सरकार से इस घटना की अविलंब जांच कराने और अपने तथ्यों को भारतीय पक्ष के साथ साझा करने का अनुरोध भी किया है. नौसेना ने एक वक्तव्य में कहा […]

नयी दिल्ली : भारतीय नौसेना ने आज कहा कि उसने फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय के समक्ष स्कॉर्पियन दस्तावेज लीक होने का मुद्दा उठाया है. नौसेना ने फ्रेंच सरकार से इस घटना की अविलंब जांच कराने और अपने तथ्यों को भारतीय पक्ष के साथ साझा करने का अनुरोध भी किया है.

नौसेना ने एक वक्तव्य में कहा है कि इस बात का पता लगाने के लिए कि कहीं सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता तो नहीं किया गया है, एक आंतरिक ऑडिट की प्रक्रिया भी शुरू की गयी है. इसके एक दिन पहले ही नौसेना ने जोर देकर कहा था कि ‘‘ऐसा लगता है कि लीक भारत से नहीं विदेश से हुआ है.’ नौसेना ने कहा है, ‘‘एक ऑस्ट्रेलियाई समाचार एजेंसी की वेबसाइट पर जो दस्तावेज पोस्ट किए गए हैं हमने उनकी जांच की है. इनके कारण सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हुआ है क्योंकि आवश्यक तथ्यों को छिपा दिया गया है.’ दिलचस्प बात यह है कि ऑस्ट्रेलियाई अखबार दी आस्ट्रेलियन ने उसके पास मौजूद 22,400 पन्नों में से सिर्फ कुछ पन्नों को ही सार्वजनिक किया है. भारत की सुरक्षा को खतरे के मद्देनजर खुद अखबार ने ही जरूरी जानकारियों को छिपा दिया है.

कल असर को कम बताया था

कल अधिकारियों ने लीक से होने वाले असर को कम करके दिखाने की कोशिश की थी. उन्होंने तर्क दिया था कि लीक हुए दस्तावेज पुरानी पड़ चुकी तकनीकी नियमावली हैं और यह भारत में निर्मित स्कॉर्पियन पनडुब्बी की विशेषताओं से काफी हद तक अलग हैं.

नौसेना ने आज जारी वक्तव्य में कहा है कि उसने यह मुद्दा फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय के समक्ष उठाया है और इस मामले पर चिंता जताई है. नौसेना ने फ्रेंच सरकार से इस घटना की अविलंब जांच कराने और अपने तथ्यों को भारतीय पक्ष के साथ साझा करने का अनुरोध भी किया है.

वक्तव्य में कहा गया है कि रिपोर्टों की प्रामाणिकता का पता लगाने के लिए इस मुद्दे को संबंधित विदेशी सरकारों के साथ कूटनीतिक रास्तों के जरिए उठाया जा रहा है.

असर का आकलन

नौसेना ने कहा है, ‘‘पूरी एहतियात बरतते हुए भारत सरकार यह भी पता लगा रही है कि अगर दस्तावेज ,जो दावा किया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलियाई सूत्रों के पास मौजूद हैं और अगर उनके साथ किसी भी तरह का समझौता हुआ है तो इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.’ इसमें आगे कहा गया है, ‘‘रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति संभावित प्रभाव का विस्तृत आकलन कर रही है और भारतीय नौसेना सुरक्षा को हुए संभावित खतरे को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है.’ कल रक्षा विशेषज्ञों ने कहा था कि भले ही लीक से भारत की सुरक्षा को खतरा हो या नहीं लेकिन लीक की घटना चिंताजनक है.

सोसाइटी ऑफ पॉलिसी स्टडीज के निदेशक और रक्षा विश्लेषक सेवानिवृत्त कमोडोर उदय भास्कर ने कहा था कि अगर दस्तावेजों की सत्यता प्रमाणित हो जाती है तो निश्चित ही भारत की सुरक्षा के समझौता हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए क्योंकि पनडुब्बियों की तकनीक से संबंधित जानकारी के लीक हो जाने से इनकी गुप्त क्षमताओं का पता चल जाएगा.’ सेवानिवृत्त रियर एडमिरल राजा मेनन ने कहा, ‘‘डाटा लीक होना गंभीर मुद्दा है.’

रक्षा मंत्रालय में हुइ उच्च स्तरीय बैठक

लीक की खबर आते ही रक्षा मंत्रालय में इस मुद्दे पर कई बैठकें हुई. नौसेना प्रमुख सुनील लांबा समेत अन्य शीर्ष अधिकारी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को नियमित तौर पर इस बाबत जानकारी दे रहे हैं.रक्षा मंत्रालय का मानना है कि अगरजरूरतपड़ती है तो लीक से संबंधित तथ्यों की पुष्टि के लिए एक भारतीय दल को विदेश भेजा जा सकता है.सूत्रों के मुताबिक अगले महीने के मध्य तक पर्रिकर के समक्ष एक औपचारिक रिपोर्ट पेश की जा सकती है.

ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने जिन दस्तावेजों को पोस्ट किया है उनमें से कुछ पर भारतीय नौसेना का चिह्न भी है.इन दस्तावेजों में युद्ध प्रबंध प्रणाली से संबंधित ‘‘संचालन दिशा-निर्देश नियमावली’ भी शामिल है.हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये दस्तावेज डीसीएनएस, भारतीय नौसेना और एमडीएल में से किसके पास थे.

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह तब तक किसी को भी पता नहीं चल पाएगा जब तक कि फ्रांसीसी और भारत सरकार तथा कंपनियां यह पता लगाएं कि उनके बीच कौन सी जानकारियां साझा हुई हैं. इसके बाद ही पता चल पाएगा कि लीक कहां से हुआ है. भारतीय एजेंसियों को भी अपने सिस्टम के भीतर इसी प्रक्रिया को अंजाम देना होगा.

लीक दस्तावेज में बेहद अहम जानकारियां

लीक हुए दस्तावेजों में भारत की छहनयी पनडुब्बियों की रडार से बच निकलने की गोपनीय क्षमता की जानकारी है. इसमें उन आवृत्तियों का भी जिक्र है, जिन पर ये खुफिया जानकारी जुटाती हैं. इसके अलावा इस डाटा में यह भी दर्ज है कि ये पनडुब्बियां गति के विभिन्न स्तरों पर कितना शोर करती हैं और किस गहराई तक गोता लगा सकती हैं और इनकी रेंज और मजबूती कितनी है. ‘दी ऑस्ट्रेलियन’ के मुताबिक ये सभी संवेदनशील और बेहद गोपनीय जानकारी हैं.

इसमें कहा गया कि ये आंकड़े पनडुब्बी के चालक दल को यह बताते हैं कि नौका पर वे किस स्थान पर जाकर दुश्मन की नजर से बचते हुए सुरक्षित तरीके से बात कर सकते हैं. आंकड़े चुंबकीय, विद्युत चुंबकीय और इन्फ्रारेड डाटा का भी खुलासा करते हैं. इसके साथ ही ये पनडुब्बी के तारपीडो प्रक्षेपण तंत्र और युद्धक तंत्र की विशिष्ट जानकारी भी देते हैं.

इस डाटा में पेरिस्कोप का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी गति और स्थितियों का भी विवरण है. इसके अलावा पनडुब्बी के पानी की सतह पर आने के बाद प्रोपेलर से होने वाले शोर और तरंगों के स्तर का जिक्र भी इसमें है.

अखबार द्वारा हासिल किए गए आंकड़ों में, पनडुब्बी के पानी के अंदर वाले संसूचकों के बारे में जानकारी देने वाले 4457 पन्ने, पानी के उपर लगे संसूचकों पर 4209 पन्ने, युद्ध प्रबंध प्रणाली पर 4301 पन्ने, तारपीडो दागने के तंत्र से जुड़े 493 पन्ने, पनडुब्बी की संचार व्यवस्था पर 6841 पन्ने और इसके दिशासूचक तंत्रों से जुड़े 2138 पन्ने हैं.

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