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केंद्र फरक्का बराज हटाने पर करे विचार: मुख्यमंत्री

नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात, सौंपा पत्र पटना/नयी दिल्ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर गंगा नदी पर बने फरक्का बराज हटाने पर विचार करने का अनुरोध किया. उन्होंने गंगा में गाद के कारण राज्य में बाढ़, सुखाड़ और दूसरे राज्यों की नदियों सेआयी बाढ़ का सामना […]

नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात, सौंपा पत्र
पटना/नयी दिल्ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर गंगा नदी पर बने फरक्का बराज हटाने पर विचार करने का अनुरोध किया. उन्होंने गंगा में गाद के कारण राज्य में बाढ़, सुखाड़ और दूसरे राज्यों की नदियों सेआयी बाढ़ का सामना करने की जानकारी दी गयी है. पीएम से मुलाकात के दौरान सौंपे तीन पेज के पत्र में सीएम ने कहा है कि फरक्का बराज की उपयोगिता का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है.
व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाये, तो इस बराज से लाभ से अधिक हानि हो रही है. इसलिए केंद्र सरकार इसे हटाने पर विचार करे. उन्होंने कहा है कि गंगा उत्तर भारत के साथ-साथ पूरे देश की भी जीवन रेखा है. इसकी स्वच्छता, संरक्षण और संवर्धन का प्रयास होना चाहिए. यह प्रयास पर्यावरण संतुलन बनाने में मददगार साबित होगा. सीएम ने गंगा की गाद के प्रबंधन के लिए इसकी वर्तमान जल प्रवाह की उच्चस्तरीय तकनीकी आकलन करवाने की मांग की है.
पत्र में उन्होंने कहा है कि गंगा में बाढ़ की मुख्य वजह फरक्का बराज के कारण इसमें गाद का जमना और इसकी तलहटी का काफी ऊंचा होना है. इससे गंगा में जल प्रवाह की क्षमता में कमी आयी है. इसके कारण ही 2016 में गांधी घाट और हाथीदह में पुराने जल स्तर में काफी वृद्धि हुई है. 2013 में भागलपुर में गंगा के जल स्तर का रिकार्ड टूटा.
उन्होंने कहा है कि बिहार की नदियों में नेपाल से आनेवाली गाद और फरक्का बराज के कारण गंगा में गाद जमने के बारे में कई बार केंद्र का ध्यान आकृष्ट किया गया. राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने का अनुरोध किया गया. इसके बावजूद अब तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया. पत्र में कहा गया है कि गंगा में गाद जमा होने के कारण पानी के कम बहाव में एनएसएल (नेचुरल सरफेस लेवल) पर पहुंच जाता है. गाद के कारण ही नदी तट के कटाव में तेजी आयी है.
मुख्यमंत्री ने 2009 की राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की पहली बैठक में ही गंगा के अविरल प्रवाह और गाद की समस्या को रेखांकित किया था. इसके बाद मैंने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्रधिकरण और अंतरराज्यीय परिषद व पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति का मुद्दा उठाया.
मेरी पहल पर तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री मई, 2012 में चौसा से फरक्का तक गंगा का हवाई सर्वेक्षण किया. इसके बाद सेंट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन द्वारा समस्या का अध्ययन कर समाधान की बात कही गयी. इसके बावजूद इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जब तक राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति गठित कर गाद नहीं हटायी जायेगी, तब तक बिहार नेपाल और पड़ोसी राज्यों में होनेवाली वर्षा के कारण गंगा में बाढ़ का खतरा झेलने काे विवश होगा.
झारखंड-मध्यप्रदेश और नेपाल की पानी से बिहार में बाढ़
पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस साल जुलाई में नेपाल की तराई में बारिश के कारण महानंदा, कनकई, बकरा, परमान, कोसी, बूढ़ी गंडक व गंडक समेत अन्य नदियों में जल प्रवाह काफी बढ़ गया, जिससे उत्तर बिहार के 14 जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी. इसके कारण इन जिलों के 78 प्रखंडों की 640 पंचायतों के 33 लाख लोगों को प्रभावित हुए.
वहीं, 5.10 लाख हेक्टेयर में लगी फसल बरबाद हो गयी. 16760 घर ध्वस्त हो गये और 95 लोगों की मौत हो गयी. वहीं, अगस्त में फल्गु में अचानक आयी बाढ़ के कारण गया, नालंदा और जहानाबाद जिले प्रभावित हुए. झारखंड और मध्यप्रदेश में हुई बारिश के कारण मोहम्मदगंज बराज और वाणसागर डैम से छोड़े गये पानी के कारण सोन नद में पानी का प्रवाह तेज हो गया. 19 अगस्त को पानी का प्रवाह अचानक 11.67 लाख क्यूसेक हो गया.
इससे सोन के किनारेवाले जिलों में बाढ़ का गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया. इसके कारण ही गंगा के जल स्तर में अचानक वृद्धि हुई और 12 जिलों का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया. उन्होंने कहा है कि यूपी और उत्तराखंड में हुई बारिश से गंगा में अभूतपूर्व बाढ़ आयी. इसके कारण राज्य सरकार को व्यापक पैमाने पर राहत और बचाव कार्य शुरू करना पड़ा. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात करना पड़ा. एयर फोर्स तक को अलर्ट करना पड़ गया. गंगा में बाढ़ के कारण फसल क्षति की जानकारी देते हुए सीएम ने कहा है कि हमारा ध्यान अभी बाढ़पीड़ितों व मवेशियों को बाहर निकालना है. जब पानी कम होगा, तब क्षति की असली तसवीर सामने आयेगा.
राज्य के 152 प्रखंडों में 40 प्रतिशत से कम वर्षा
पत्र में मुख्यमंत्री ने बिहार काे सुखाड़ से निबटने के लिए उचित केंद्रीय सहायता की मांग करते हुए कहा है कि 15 अगस्त तक 152 प्रखंडों में औसत से 40% कम बारिश हुई है. इससे खरीफ फसल के प्रभावित होने की आशंका है. खरीफ फसल बचाने के लिए राज्य सरकार किसानों को डीजल अनुदान दे रही है. किसानों को पिछले कई साल से रबी और खरीफ फसल के लिए डीजल सब्सिडी दी जा रही है. पिछले 10 साल में दो वर्षों को छोड़ कर राज्य में वर्षापात 1000 एमएम के औसत से भी कम हुआ है, जो चिंताजनक है.

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