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कल तक थी वीआइपी सुरक्षा, अब सलाखों के पीछे कटेंगे दिन

कोर्ट से दोषी करार होते ही सबसे पहले भाजपा ने तोड़ा था नाता फैसला सुनने के इंतजार में सबसे अधिक जमा थे स्वामी समर्थक कद्दावर नेता उमाशंकर सिंह के राजनीति उत्तराधिकारी के रूप में उभरे थे जितेंद्र स्वामी सीवान : कल तक वाइ श्रेणी की सुरक्षा में रहे भाजपा के कद्दावर नेता जितेंद्र स्वामी पर […]

कोर्ट से दोषी करार होते ही सबसे पहले भाजपा ने तोड़ा था नाता

फैसला सुनने के इंतजार में सबसे अधिक जमा थे स्वामी समर्थक
कद्दावर नेता उमाशंकर सिंह के राजनीति उत्तराधिकारी के रूप में उभरे थे जितेंद्र स्वामी
सीवान : कल तक वाइ श्रेणी की सुरक्षा में रहे भाजपा के कद्दावर नेता जितेंद्र स्वामी पर कानून का शिकंजा कसते ही पूरी परिदृश्य ही बदल गया. जदयू के पूर्व विधायक दामोदर सिंह के भाई भरत सिंह का अपहरण कर हत्या करने के मामले में जब कोर्ट ने 10 दिन पूर्व दोषी करार दिया, तो सबसे पहले भाजपा ने ही नाता तोड़ते हुए निलंबित कर दिया. अब सोमवार को कोर्ट ने जब आजीवन कारावास की सजा सुनायी, तो कार्यकर्ताओं का भी साथ छूट गया. वीआइपी सुरक्षा के बीच जीवन गुजारनेवाले जितेंद्र स्वामी को अब लंबे समय तक जेल के सलाखों के बीच अपनी जिंदगी गुजारनी होगी.
संसदीय राजनीति में तकरीबन तीन दशक तक बेताज बादशाह के रूप में स्थापित रहे उमाशंकर सिंह के निधन के बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पुत्र जितेंद्र स्वामी उभरे. लेकिन, उनके ख्वाहिशों को न्यायालय के फैसले ने चकनाचूर कर दिया. विधानसभा में महाराजगंज सीट से जदयू विधायक रहे दामोदर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे थे. इसके मतदान के दिन 17 फरवरी, 2000 को दामोदर के भाई भरत सिंह का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया तथा उसके चंद घंटे बाद ही उनका शव गन्ने के खेत से बरामद हुआ. इस मामले में पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह व उनके पुत्र जितेंद्र स्वामी नामजद किये गये. इसमें न्यायालय की प्रक्रिया के दौरान ही उमाशंकर सिंह का निधन हो गया.
ऐसे में एकमात्र आरोपित जितेंद्र स्वामी को द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार दूबे की अदालत ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
चार वर्ष बाद फिर बदला कोर्ट का फैसला : भरत सिंह हत्याकांड में फास्ट ट्रैक कोर्ट वन रामदरश की अदालत ने वर्ष 2012 के 17 अप्रैल को साक्ष्य के अभाव में जितेंद्र स्वामी व उमाशंकर सिंह को बरी कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ मृतक भरत सिंह के भाई विजय सिंह ने पटना हाइकोर्ट में फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की.
इस पर कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए न्यायाधीश नवनीती सिंह व नीलू अग्रवाल की अदालत ने 25 जनवरी, 2016 को निचली अदालत से दो माह के अंदर पुन: सुनवाई कर फैसला देने का निर्देश दिया. इस पर एक बार फिर द्वितीय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार दूबे की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 11 अगस्त को जितेंद्र स्वामी को दोषी करार दिया. इसमें 10 दिनों के बाद कोर्ट ने आजीवन कारावास व 40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है. ऐसे में चार वर्षों के अंदर ही निचली अदालत का फैसला पलट गया.
सुबह से ही न्यायालय में रही कड़ी सुरक्षा : कोर्ट द्वारा सजा सुनाये जाने की तय तिथि के अनुसार सुबह से ही न्यायालय में गहमागहमी रही. सबसे अधिक जितेंद्र स्वामी के समर्थक ही न्यायालय परिसर में जुटे रहे. उनकी संख्या व सक्रियता को देखते हुए सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध रहे. सुबह से ही चार थानाें की पुलिस कैंपस में जमी रही.
मुफस्सिल प्रभाग के इंस्पेक्टर प्रियरंजन, टाउन इंस्पेक्टर सुबोध कुमार, मुफस्सिल के थानाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, महादेवा ओपी के शंभुनाथ पुलिस बल के साथ रहे. इसके कारण कैंपस छावनी में तब्दील रही. कोर्ट द्वारा सजा सुनाते ही समर्थकों के चेहरे मायूस हो गये.
कोर्ट से बाहर निकलते हत्याकांड के दोषी जितेंद्र स्वामी.
जितेंद्र स्वामी के खिलाफ दर्ज अन्य मामले
महाराजगंज -केस नंबर 12/92-आइपीसी धारा 147, 148, 149, 324, 326, 327, 332, 307, 323, 35 बी
महाराजगंज -केस नंबर 124/94-आइपीसी धारा 147, 123, 399, 364, 342
महाराजगंज -केस नंबर 149/94-आइपीसी धारा 147, 148, 323, 448 व आर्म्स एक्ट
महाराजगंज -केस नंबर 169/94-आइपीसी धारा 302,120 बी, 34 आइपीसी, 27 आर्म्स एक्ट, 3/5 विस्फोटक अधिनियम
महाराजगंज -केस नंबर 22/05-आइपीसी धारा 27 आर्म्स एक्ट

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