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विभाग के गले की फांस बना है स्कूलों का मानक व पंजीयन

स्कूलों को पंजीयन निर्गत करने की प्रक्रिया जितनी आसान, पंजीयन रद्द करने की प्रक्रिया उतनी मुश्किल 104 िनजी स्कूल आरटीइ के तहत िजले में पंजीकृत पूर्णिया : निजी स्कूलों का मानक और पंजीयन हाल के दिनों में तूल पकड़ता नजर आ रहा है. दूसरी तरफ यही मानक और पंजीयन शिक्षा विभाग के गले की फांस […]

स्कूलों को पंजीयन निर्गत करने की प्रक्रिया जितनी आसान, पंजीयन रद्द करने की प्रक्रिया उतनी मुश्किल

104 िनजी स्कूल आरटीइ के तहत िजले में पंजीकृत
पूर्णिया : निजी स्कूलों का मानक और पंजीयन हाल के दिनों में तूल पकड़ता नजर आ रहा है. दूसरी तरफ यही मानक और पंजीयन शिक्षा विभाग के गले की फांस बन गया है. इसकी मूल वजह यह है कि स्कूलों को पंजीयन निर्गत करने की प्रक्रिया जितनी आसान है, उतना ही मुश्किल पंजीयन रद्द करने की प्रक्रिया है. निजी स्कूलों पर नियंत्रण को लेकर जिले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित है. इसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी मो मंसूर आलम पदेन अध्यक्ष व सर्वशिक्षा डीपीओ विजय कुमार झा पदेन सचिव हैं. जबकि जिलाधिकारी द्वारा मनोनीत सदस्य (वरीय उप समाहर्ता) के रूप में जिला पंचायती राज पदाधिकारी कुमार विवेकानंद समिति सदस्य हैं. इसी समिति द्वारा निजी स्कूलों को पंजीयन निर्गत करना है.
लेकिन समिति के पास पंजीकृत स्कूलों का पंजीयन निरस्त करने का अधिकार नहीं है. समिति केवल पंजीयन निरस्त करने के लिए अनुसंशा कर सकती है. मानव संसाधन विकास विभाग से स्वीकृति मिलने के उपरांत ही समिति को कार्रवाई का अधिकार है.
पंजीयन की प्रक्रिया है आसान रद्द करना मुश्किल : बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के प्रावधान के अनुसार निजी स्कूलों के पंजीयन की प्रक्रिया काफी आसान है. निर्धारित प्रारूप में इसके लिए संस्थापक को जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदन करना होता है. इसके बाद निजी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति को आवेदन पर तीन माह के अंदर विचार करना है. इसी दौरान स्कूल के मानकों की भी स्थलीय जांच की जानी है. मानक पूरा करने पर तत्काल स्कूल को पंजीयन निर्गत करना होता है. जबकि मानक पूरा नहीं होने की स्थिति में संचालक को अधिकतम तीन वर्षों तक का समय दिया जा सकता है. उक्त अवधि में भी मानक पूरा नहीं होने पर संस्थापक को स्कूल बंद करने का प्रावधान है. वही उक्त स्कूल को पुन: पंजीयन देने का भी प्रावधान नहीं है. दीगर बात है कि जिले में इसका अनुपालन नहीं होता है. वही पंजीयन रद्द करने की प्रक्रिया आसान नहीं है.
पंजीकृत स्कूलों द्वारा मानक का उल्लंघन करने पर समिति द्वारा संबंधित स्कूल की जांच कर उस पर समिति की बैठक में विमर्श करना है. इसके बाद मानव संसाधन विकास विभाग से पंजीयन रद्द करने के लिए अनुमोदन प्राप्त करना होता है. इसके उपरांत ही समिति के सचिव सह सर्वशिक्षा डीपीओ द्वारा स्कूल का पंजीयन रद्द करने संबंधी नोटिस निकाला जाता है. इसके बाद आगामी शैक्षणिक सत्र से स्कूल बंद किया जाता है. वही डीपीओ को आदेश में पड़ोस के उस स्कूल का भी उल्लेख करना होता है, जिसमें पंजीयन निरस्त होने के बाद संबंधित स्कूल के बच्चे नामांकित होंगे.
पंजीयन व मानक मामले में होता रहा है घालमेल
जिले में फिलहाल 104 निजी स्कूल शिक्षा विभाग से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के तहत पंजीकृत हैं. जबकि कुल 319 स्कूलों ने पंजीयन के लिए आवेदन किया है. विभागीय सूत्र बताते हैं कि अधिनियम लागू होने के बाद से ही लगातार विभाग द्वारा मानक और पंजीयन मामले में घालमेल किया जाता रहा है. इसके तहत बिना मानक पूरा किये भी स्कूलों को पंजीयन संख्या निर्गत हो रहा है. जबकि मानकों को पूरा करने वाले स्कूलों को वर्षों बाद भी पंजीयन निर्गत नहीं हुआ है. सूत्रों के अनुसार पंजीयन निर्गत करने की प्रक्रिया विभाग के लिए कामधेनु साबित होती रही है. यही कारण है कि लंबित आवेदनों पर विचार नहीं हो रहा है. जबकि बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के प्रावधान के अनुसार तीन माह के अंदर आवेदनों का निष्पादन कर देना है.

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