जमशेदपुर: एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अॉफ इंडिया एसडी संजय ने कहा कि कानून के सिस्टम में खामियों की वजह से लाेगाें को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है. चपरासी की पाेस्टिंग के लिए राेस्टर निकाला जाता है, परीक्षा हाेती है, जबकि हाइकाेर्ट-सुप्रीम काेर्ट में जजाें की नियुक्ति के लिए किसी तरह का काेई सिस्टम काम […]
जमशेदपुर: एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अॉफ इंडिया एसडी संजय ने कहा कि कानून के सिस्टम में खामियों की वजह से लाेगाें को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है. चपरासी की पाेस्टिंग के लिए राेस्टर निकाला जाता है, परीक्षा हाेती है, जबकि हाइकाेर्ट-सुप्रीम काेर्ट में जजाें की नियुक्ति के लिए किसी तरह का काेई सिस्टम काम नहीं करता है. ऐसे में मेरिट की अनदेखी हो जाती है. इस पर केंद्र सरकार गंभीर है.
शनिवार काे जमशेदपुर पहुंचे एसडी संजय ने पत्रकाराें से बातचीत में कहा कि सरकार ने जब इस पर सवाल खड़ा किया, ताे सुप्रीम काेर्ट ने इस पर प्राेसिजर बनाने काे कहा. केंद्र ने जब प्राेसिजर बना कर दिया, ताे उसे सुप्रीम काेर्ट ने खारिज करते हुए अंतिम शक्ति खुद काे बताया. सुप्रीम काेर्ट अपनी शक्ति काे कम हाेने देने काे तैयार नहीं है. सुप्रीम काेर्ट आैर हाईकाेर्ट में जजाें की नियुक्ति में देरी के लिए खुद सिस्टम जिम्मेवार है.
सरकार नियुक्तियाें में कहीं से बाधा नहीं बनना चाहती, बशर्ते उसमें पारदर्शिता बरती जाये. एसडी संजय ने कहा कि जब भी काेई न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के पास हाेता है, ताे इस तरह के मुद्दे अवश्य उठाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने अंग्रेजाें के समय से चले आ रहे 102 ऐसे कानूनाें काे खत्म किया है, जिनका सिर्फ दुरुपयाेग हाे रहा था. सरकार आनेवाले दिनाें में संविधान का लाभ आम आदमी काे सुलभ तरीके से पहुंचाने की तैयारी में लगी हुई है.
बिल का औचित्य : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में होने वाली नियुक्ति को लेकर ज्यूडिशियरी बिल बनाया. बिल को 15 राज्यों ने सही ठहराया, जिसे दाेनाें सदनाें ने पास कर दिया. उस बिल को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया. एसडी एसडी संजय ने कहा कि देशभर के विभिन्न कोर्ट में तीन लाख से अधिक केस लंबित हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें लंबित केस के निष्पादन की जिम्मेदारी दी है.