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सदर अस्पताल से बगैर इलाज के लौटे डेढ़ हजार मरीज

आइएमए व भासा ने किया था हड़ताल का आह्वान केवल इमरजेंसी में ही हो सका मरीजों का इलाज औरंगाबाद नगर : बिहार में डॉक्टरों पर हो रहे लगातार हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) व बिहार चिकित्सा सेवा संघ (भाषा) संगठनों से जुड़े डॉक्टर शनिवार को हड़ताल पर रहे. इसके कारण मरीजों को […]

आइएमए व भासा ने किया था हड़ताल का आह्वान

केवल इमरजेंसी में ही हो सका मरीजों का इलाज
औरंगाबाद नगर : बिहार में डॉक्टरों पर हो रहे लगातार हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) व बिहार चिकित्सा सेवा संघ (भाषा) संगठनों से जुड़े डॉक्टर शनिवार को हड़ताल पर रहे. इसके कारण मरीजों को इलाज कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि, संगठन के लोगों ने मरीजों के हित को देखते हुए हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवा को चालू रखा. इधर, चिकित्सकों के हड़ताल पर रहने के कारण पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी. मरीजों एवं उनके परिजनों को काफी परेशानी हुई. इलाज कराने के लिये सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी के रजिस्टर काउंटर पर लोगों की लाइन लगी रही, लेकिन सिर्फ इमरजेंसी मरीजों का ही इलाज किया गया.
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर सदर अस्पताल में देखने को मिला. इस अस्पताल में रोजाना 1500 से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिये आते हैं. लेकिन, हड़ताल के कारण सिर्फ इमरजेंसी मरीजों का ही इलाज किया गया. अन्य मरीज व उनके परिजन निराश होकर घर लौट गये. सबसे ज्यादा परेशानी सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों से आये लोगों को हुई. इस संबंध में सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह ने बताया कि ओपीडी सेवा प्रभावित हुई है. इमरजेंसी में मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
हड़ताल पर रहे चिकित्सक, मरीजों को हुई परेशानी
आेबरा पीएचसी में पसरा सन्नाटा व सदर अस्पताल में बंद पड़ा ओपीडी.
गरीब के देखेवाला कोइ न हई बाबू
बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल का असर औरंगाबाद सदर अस्पताल पर पूरी तरह दिखा. रोजाना की तरह शनिवार की सुबह से ही इलाज के लिये मरीजों का आना प्रारंभ हो गया था. पहले दिखाने के चक्कर में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों व उनके परिजनों की भीड़ जमा हो गयी थी, लेकिन आठ बजे के बाद जब उन्हें पता हुआ कि आज ओपीडी सेवा बंद है और चिकित्सक हड़ताल पर हैं तो उनकी परेशानी और बढ़ गयी. किसी ने सरकार को दोष दिया तो किसी ने डॉक्टरों को. देव के सुदूरवर्ती इलाके से आयी मनवा देवी अपने पोते का इलाज कराने पहुंची थी. मनवा देवी ने कहा कि गरीब के देखेवाला कोइ न हई बाबू. सभे आपन फेर में लगल रह हथी. लाउड स्पीकर से प्रचार करावे के हलई काम. रिसियप से पहुंची सीता देवी ने कहा कि शुक्रवार को भी वह इलाज कराने आयी थी, लेकिन अधिक भीड़ होने के कारण लौट गयी. शनिवार को डॉक्टर हड़ताल पर चले गये तो अब गरीब का इलाज कहां होगा. नवीनगर के टंडवा से पहुंचे राम प्रवेश सिंह ने कहा कि प्राइवेट क्लिनिक में इलाज कराने के लिये पैसा नहीं है. जल्दीबाजी में सदर अस्पताल आये तो डॉक्टर नहीं है. इमरजेंसी सेवा से कितना लोग लाभ लेंगे. इसी तरह नवीनगर से ही झुलन देवी, रानी कुंवर, पुष्पा देवी, मदनपुर से सीताराम पासवान, सुरेश भुइंया, शांति देवी ,जुड़ाही से अमित कुमार, सलैया के अनिरूद्ध प्रसाद, रफीगंज से अनिल साव, मो इमाम ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डॉक्टरों को दोषी करार दिया. औरंगाबाद सदर अस्पताल के अलावे पीएचसी ओबरा, दाउदनगर, रफीगंज, देव,मदनपुर, रेफरल अस्पताल कुटुंबा, हसपुरा, नवीनगर में सन्नाटा पसरा रहा. भरती मरीजों को अधिक परेशानी हुई. ओबरा में एक दर्जन के करीब मरीज भरती थे, जिन्हें परेशानी हुई.

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