प्रेमचंद के बाद हिंदी साहित्य को जिन साहित्यकारों ने संवारा है, उनमें अमृतलाल नागर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.
अमृतलाल नागर की गिनती उन साहित्यकारों में होती है जिन्होंने न तो परंपरा को नकारा है और न ही आधुनिकता से मुंह मोड़ा है.
‘बूँद और समुद्र’, ‘मानस’ और ‘हंस’ जैसी कालजयी रचनाओं के लेखक अमृतलाल नागर की जन्म शताब्दी पर उन्हें श्रद्धाँजलि दे रहे है रेहान फ़ज़ल आज की विवेचना में.