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तृणमूल कांग्रेस ने चाय बागानों के मालिकाें पर बढ़ाया दबाव, बोनस को लेकर बैठक आज

जलपाईगुड़ी: चाय बागानों में पूजा बोनस को लेकर बागान प्रबंधन की बैठक से पहले ही तृणमूल समर्थित ट्रेड यूनियन संगठन ने 20 प्रतिशत बोनस देने की मांग की है. बोनस को लेकर यह बैठक कोलकाता में शनिवार को होगी. बैठक में शामिल होने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने तराई-डुवार्स के सभी ट्रेड यूनियन नेताओं को […]

जलपाईगुड़ी: चाय बागानों में पूजा बोनस को लेकर बागान प्रबंधन की बैठक से पहले ही तृणमूल समर्थित ट्रेड यूनियन संगठन ने 20 प्रतिशत बोनस देने की मांग की है. बोनस को लेकर यह बैठक कोलकाता में शनिवार को होगी. बैठक में शामिल होने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने तराई-डुवार्स के सभी ट्रेड यूनियन नेताओं को आमंत्रित किया है.

तृणमूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तराई और डुवार्स के ट्रेड यूनियन नेता कोलकाता के लिए रवाना हो गये है. शनिवार को इन नेताओं की बैठक मंत्री अरूप विश्वास व शोभन चटर्जी से होगी. उल्लेखनीय है कि पिछले साल चाय बागान श्रमिकों को सभी वर्गों में 20 प्रतिशत बोनस देने का समझौता हुआ था, लेकिन कई चाय बागानों ने इस समझौते का पालन नहीं किया था.

तब चाय श्रमिकों ने इस मांग को लेकर आंदोलन भी किया था. इस बार विधानसभा चुनाव में तराई-डुवार्स के चाय बागानों में तृणमूल कांग्रेस ने अच्छी सफलता अर्जित की है. इसी वजह से तृणमूल नेता चाय श्रमिकों को अधिक से अधिक बोनस दिलवाना चाहते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तृणमूल के जिला अध्यक्ष व अलीपुरद्वार के विधायक सौरभ चक्रवर्ती ने इस मुद्दे को लेकर अरूप विश्वास से बातचीत भी की है. श्री चक्रवर्ती राज्य सरकार द्वारा हाल में गठित चाय निदेशालय के चेयरमैन भी हैं. इस मुद्दे पर श्री चक्रवर्ती ने कहा है कि चाय उद्योगपति भरपूर मुनाफा कमा रहे हैं. लेकिन जब श्रमिकों को बोनस देने की बात आती है, तो ये लोग बहानेबाजी शुरू कर देते हैं. इस बार ऐसा नहीं होने दिया जायेगा. 20 प्रतिशत से अधिक बोनस की मांग की जायेगी. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष समझौता होने के बाद भी कई चाय बागानों ने बोनस का भुगतान नहीं किया था. किश्तों में पैसे देने की बात कह ऐसे बागान मालिक समझौते से पीछे हट गये थे. इस बार ऐसा नहीं होने दिया जायेगा. किश्तों में पैसे देने की कोई बात नहीं होगी. चाय श्रमिकों को एक मुश्त बोनस का भुगतान करना होगा. तृणमूल टी प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष जोवाकिम बाकला का कहना है कि अलीपुरद्वार द्वारा स्थित कोहिनूर चाय बागान में वर्ष 2015 के बोनस का अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

अब यह लोग 2015 का बोनस 2017 में देने की बात कर रहे हैं. तृणमूल डुवार्स यूनियन ऑफ प्लांटेशन वर्कर्स के महासचिव मोहन शर्मा का कहना है कि जब भी बोनस देने की बात आती है, बागान मालिक बहानेबाजी शुरू कर देते हैं. इस बार बहानेबाजी नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि चाय बागान मालिक बस मुनाफा कमाना चाहते हैं. श्रमिकों को कुछ देने के नाम पर ही उन्हें परेशानी होने लगती है. श्रमिक असंतोष का बहाना बनाकर कई बागान मालिक श्रमिकों को असहाय छोड़कर चले गये हैं. राज्य में ममता बनर्जी की सरकार श्रमिकों की मदद कर रही है. इस बार वह लोग किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे. 20 प्रतिशत से अधिक बोनस की मांग की जायेगी.

क्या कहते हैं श्रम अधिकारी
इधर, जलपाईगुड़ी जिले के उप-श्रम अधिकारी श्यामल दत्त का कहना है कि कोहिनूर चाय बागान को लेकर कई बार बैठक हो चुकी है, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. नियमानुसार कोहिनूर चाय बागान को भी पिछले वर्ष ही बोनस दे देना चाहिए था.
क्या कहते हैं प्रबंधन के लोग
कोहिनूर चाय बागान के सीनियर मैनेजर शुभंकर राय का कहना है कि कंपनी वर्ष 2015 के लिए 20 प्रतिशत बोनस ही देगी. कुल बोनस के 30 प्रतिशत का भुगतान 28 अगस्त को कर दिया जायेगा. इसके अलावा 30 प्रतिशत की दूसरी किश्त 24 दिसंबर को दी जायेगी. बाकी 40 प्रतिशत रकम वर्ष 2017 के 13 अगस्त को देने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि कोहिनूर चाय बागान वर्ष 2000 से ही बंद था. 2004 में नये प्रबंधन ने बागान को लिया है. उसके बाद से ही श्रमिकों के सभी बकाये का भुगतान किया जा रहा है. बीच-बीच में बागान बंद होने तथा खुलने का सिलसिला भी जारी है. इसी वजह से बोनस देने में परेशानी हो रही है. इस बार पूजा बोनस को लेकर जो भी निर्णय होगा, उसका भुगतान वह लोग एक मुश्त कर देंगे. सिर्फ पिछले वर्ष की ही बोनस भुगतान को लेकर समस्या है.
फिर से वर्गीकरण की मांग
दूसरी तरफ, बागान मालिकों के संगठन कंसल्टेटिव कमेटी ऑफ टी प्लांटर्स एसोसिएशन के उत्तर बंग कमेटी के कन्वेनर अमृतांशु चक्रवर्ती का कहना है कि उन लोगों ने ए, बी, सी व डी वर्गों में रहे चाय बागानों के वर्गों को फिर से परिवर्तित करने का प्रस्ताव दिया है. जो बागान ए वर्ग में हैं, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है, जबकि इन बागानों को ए वर्ग के नियमानुसार ही श्रमिकों को वेतन व अन्य सुविधाएं देनी पड़ रही है. ए वर्ग के जिन बागानों की स्थिति खराब है, उसे सी अथवा डी में रखा जा सकता है. नीचे के जो बागान ठीक चल रहे हैं, उनका वर्ग बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बोनस को लेकर ट्रेड यूनियनों के साथ जब बैठक होगी, तब इस मुद्दे को उठाया जायेगा.

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