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आदिवासी महिला की चंगाई ने खोला ”संत” की उपाधि का द्वार

रांची: मदर टेरेसा को चार सितंबर को वेटिकन के संत पीटर्स स्क्वायर मेें पोप फ्रांसिस संत का दर्जा देंगे. इस समारोह में देश-विदेश के हजारों लोग शामिल होंगे. कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो समारोह में शामिल होने के लिए 20 अगस्त को रवाना होंगे. मदर टेरेसा की संत घोषणा के पहले के महत्वपूर्ण चरण, ‘धन्य घोषणा’ […]

रांची: मदर टेरेसा को चार सितंबर को वेटिकन के संत पीटर्स स्क्वायर मेें पोप फ्रांसिस संत का दर्जा देंगे. इस समारोह में देश-विदेश के हजारों लोग शामिल होंगे. कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो समारोह में शामिल होने के लिए 20 अगस्त को रवाना होंगे. मदर टेरेसा की संत घोषणा के पहले के महत्वपूर्ण चरण, ‘धन्य घोषणा’ में पश्चिम बंगाल की संताल आदिवासी महिला मोनिका बेसरा की साक्षी ने अहम भूमिका निभायी थी. उसने 1998 में यह गवाही दी कि मदर टेरेसा की मध्यस्थता से प्रार्थना कर वह कैंसर से मुक्त हो गयी. वेटिकन से इस चमत्कार को मान्यता मिलने पर 2003 में मदर टेरेसा को धन्य घोषित किया गया.
कैथोलिक चर्च के नियमों के अनुसार किसी व्यक्ति को संत घोषणा के लिए जरूरी है कि धन्य घोषणा के बाद भी उनकी मध्यस्थता से एक और व्यक्ति की चंगाई को वेटिकन से मान्यता मिले. इसमें ब्राजील के एक व्यक्ति की गवाही आधार बना, जिसने 2008 में कहा कि मदर टेरेसा की मध्यस्थता से उसकी प्रार्थना ने उसे ‘मल्टीपल ब्रेन ट्यूमर’ से मुक्त क​र दिया.

इसके बाद वेटिकन द्वारा 17 दिसंबर 2015 को घोषणा की गयी कि पोप फ्रांसिस ने इस दूसरी चंगाई को स्वीकार कर लिया है. चार सितंबर 2016 को पोप ‘धन्य’ मदर टेरेसा को ‘संत’ घोषित ​करेंगे. चर्च के नियमानुसार दोनों चमत्कार उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद होने चाहिए, जिसे धन्य या संत घोषित करने पर विचार चल रहा हो. मदर टेरेसा का निधन पांच सितंबर 1997 को हुआ था. मदर टेरेसा की ‘कैननजाइजेशन’ की प्रक्रिया संत पीटर्स स्क्वायर में सुबह दस बजे शुरू होगी. इस समारोह में शामिल होकर कार्डिनल नौ सितंबर को लौटेंगे.

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