कानपुर : गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने की नमामि गंगे परियोजना का पहला चरण इसी साल अक्तूबर से शुरू होगा और दो बरस में इसके नतीजे दिखने लगेंगे. इस काम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती गंगोत्री से गंगासागर तक पैदल यात्रा भी करने को तैयार हैं. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत आज यहां विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत करते हुए उमा भारती ने कहा कि गंगा किनारे जैविक खेती होनी चाहिए और गंगा में गिरने वाले नाले तत्काल बंद होने चाहिये.
दो साल में दिखेगा असर
इसके साथ ही उन्होंने उद्योगों से प्रदूषित पानी बिना शोधन गंगा में जाने पर रोक लगाने की भी हिमायत की. उन्होंने लोगों से कहा कि वह गंगा के स्वच्छ होने तक इसका जल अपने पूर्वजों को अर्पण न करें क्योंकि जो पानी आप पी नहीं सकते वह अपने मृत परिजन को अर्पण क्यों करना. उन्होंने कहा कि विभाग ने विदेशों की नदियों की सफाई की जो रिपोर्ट मंगाई है उसके अनुसार वहां भी बड़ी नदियों की सफाई में 20 से 25 साल का समय लगा था लेकिन हम गंगा की सफाई इससे कम समय में कर लेंगे और इसकी पहली झलक अक्टूबर 2018 तक गंगा सफाई अभियान के पहले चरण के बाद दिखने लगेगी.
जहर गंगा में जाने से रोकें-उमा
उमा भारती ने कहा कि कृषि मंत्रालय के सहयोग से वह चाहती है कि गंगा के किनारे केवल आर्गेनिक खेती हो ताकि पेस्टीसाइड का जहर गंगा में न जाए. इसी तरह गंगा किनारे गाय पाली जाएं. उनका सुझाव है कि गंगा के किनारे होने वाली खेती अथवा डेयरी उत्पादन गंगा के नाम से हो ताकि लोगों को उसकी शुद्धता का भरोसा हो. उन्होंने गंगा चाकलेट बनाने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि गंगा किनारे के इलाकों ने देश को अनेक महापुरुष दिये हैं. पूरे देश में गंगा किनारे जो भी रिवर फ्रंट बनें उनके नाम इन महापुरुषों के नाम पर रखे जाएं. कानपुर के टेनरी चमड़ा उद्योग के प्रदूषण के बारे में भारती ने कहा कि टेनरियों को बंद करना इसका उपाय नहीं है क्योंकि इससे लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे.