भाई-बहन का पर्व रक्षा बंधन आज मनाया जायेगा. बाजार में लोगों ने राखी की खरीदारी खूब की. महिला व युवतियों में दिखा खासा उत्साह दिखा.
सुपौल : ई बहन के स्नेह का त्योहार रक्षा बंधन जिले भर में गुरुवार को मनाया जायेगा. रक्षा बंधन मनाये जाने को लेकर खास कर बच्चों में उत्साह देखा जा रहा है. साथ ही अपने घर से बाहर रह रहे भाईयों को बहनों के द्वारा या तो कुरियर के माध्यम से राखी भेजे जाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. या फिर इस भागमभाग जिंदगी में दूरभाष से सूचना देकर राखी बांधने लेने की सूचना दी जा रही है. वहीं जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित दुकानों में राखी सजा हुआ है. बीते एक सप्ताह से राखी की खरीदारी को लेकर भीड़ जुट रही है.
रक्षा बंधन मनाये जाने को लेकर पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार माता लक्ष्मी द्वारा सर्व प्रथम राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधे जाने की बाते प्रचलित रही है. कथा के अनुसार दानबेंद्र राजा बलि अश्वमेघ यज्ञ करवा रहे थे. उस समय नारायण ने राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार का स्वरुप धारण किया. साथ ही राजा बलि से दान स्वरुप तीन पग में सब कुछ ले लिया. साथ ही भगवान नारायण ने राजा बलि को पाताल लोक का राज्य रहने के लिए दे दिया. राजा बलि ने पाताल लोक में निवास करने के लिए एक शर्त रखा.
जहां भगवान भक्त के इस शर्त को नहीं टाल सके. राजा बलि ने जब नारायण से जब त्रिवाचा करा लिया. तब बलि ने कहा कि वे जब सोकर उठे तो जिधर भी नजर आये उन्हें नारायण का दर्शन हो. इधर बैकुंठ में माता लक्ष्मी को चिंता सताने लगी. माता लक्ष्मी ने नारद जी से नारायण की जानकारी के बाबत पूछा. जहां नारद जी ने माता लक्ष्मी को बताया कि नारायण पाताल लोक में राजा बलि के पहरेदार बने हुए है.
नारद जी ने माता लक्ष्मी से राजा बलि को भाई बना लेने की सलाह दी. जहां माता लक्ष्मी ने सुंदर स्त्री का वेष धारण कर रोते बिलखते राजा बलि के समक्ष पहुंची. राजा बलि ने नारी को रोते देख उनसे कारण पूछा. जहां माता लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि उन्हें अपने भाई नहीं रहने के कारण वे दुखित हैं. मौका देख माता लक्ष्मी का स्वरुप धारण की नारी ने राजा बलि से तिर्बाचा कराया. साथ ही उन्होंने बोली कि उन्हें उनका पहरेदार चाहिए. राजा बलि ने कहा कि धन्य हो माता पति आये सब कुछ ले गये और महारानी आयी तो उन्हें ही लेकर चले गये. तब से रक्षा बंधन के त्योहार मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है.
मंत्रोच्चार के साथ बांधते हैं रक्षा सूत्र: रक्षा बंधन के मौके पर बहन अपने भाईयों की हाथों पर येन बद्धो बलि राजा दान बेंद्रो महाबल: तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल: माचल: मंत्रोच्चार कर कलावे बांधती है.
इस मंत्र का तात्पर्य है कि यह बंधन जो भाईयों के आंतरिक व बाहरी शत्रुओं व रोग ऋण से सुरक्षा प्रदान करे, साथ ही भाई अपने बहन के प्रति स्नेह व सम्मान का भावना रखे. रक्षा बंधन के मौके पर बहन अपने भाईयों को तिलक व चंदन लगा कर मिठाई खिलाती है. साथ ही कलावे पर राखी बांध रक्षा का वचन लेती है.