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कैसे हो पर्यावरण की सुरक्षा जब 3151 में 2092 पद खाली

पटना : एक ओर सरकार पर्यावरण को बढ़ावा देे रही है. हरियाली मिशन व कृषि वानिकी योजनाएं चला रही हैं. वहीं दूसरी ओर इसे संचालित करने वाले कर्मचारी और पदाधिकारी ही नहीं है. पूरे प्रदेश में पदाधिकारी और वनपाल समेत कुल 3,151 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इसके एवज में कार्यरत कर्मचारियों और पदाधिकारियों की संख्या […]

पटना : एक ओर सरकार पर्यावरण को बढ़ावा देे रही है. हरियाली मिशन व कृषि वानिकी योजनाएं चला रही हैं. वहीं दूसरी ओर इसे संचालित करने वाले कर्मचारी और पदाधिकारी ही नहीं है. पूरे प्रदेश में पदाधिकारी और वनपाल समेत कुल 3,151 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इसके एवज में कार्यरत कर्मचारियों और पदाधिकारियों की संख्या महज 1,057 है. यानी कि कुल 2,094 पद रिक्त हैं. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की बात बेमानी सी है.
शहरों में पौधारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘हरा परिसर, हरा परिसर’ के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 901 कैंपसों में 218487 पौधे लगाये जाने हैं, लेकिन वनपाल और वनरक्षी के रिक्त पदों के अभाव में योजना के अंतर्गत पौधे लगाने से लेकर उनकी मॉनीटरिंग तक का काम अधर में है. क्योंकि पौधे लगाने और उनकी देखभाल का जिम्मा वनपाल और वनरक्षी का है, लेकिन सबसे कम संख्या इनकी ही है. यानी पूरे प्रदेश में वनपाल और वनरक्षियों के 1,845 पद रिक्त हैं. स्वीकृत पद 2,547 के जगह में मात्र 702 वनपाल और वनरक्षी कार्यरत हैं.
पटना जिला में वनरक्षी के कुल 67 स्वीकृत पदाें के एवज में मात्र 23 से ही काम चलाया जा रहा है. ऐसे में पौधे लगाने से लेकर उनकी मॉनीटरिंग करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य उनके द्वारा ही की जाती है. गया व अररिया जिले में अलग से जैव विविधता उद्यान विकसित किया जाना है. लेकिन इसे विकसित करने में कितना समय लगेगा, इसकी जानकारी वन प्रमंडल पदाधिकारियों को भीनहीं है.

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