नयी दिल्ली : भाजपा से नाता तोड़ चुके अमृतसर के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की आम आदमी पार्टी से बात नहीं बनी पायी है. सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार के बाद से उनकी और आम आदमी पार्टी के बीच वार्ता नहीं हुई है. सूत्राें का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी की ओर से स्वयं को पंजाब का मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषित करवाना चाहते थे. यही नहीं वे खुद के साथ अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के लिए भी विधानसभा की सीट चाहते हैं.
नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को भी आम आदमी पार्टी टिकट देने में आनाकानी कर रही है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पार्टी के नियम-कायदे एक परिवार को दो लोगों को एक ही चुनाव में टिकट देने का इजाजत नहीं देता है.
मालूम हो कि पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें नामित सदस्य के रूप राज्यसभा भेजा था, जिसे उन्होंने कुछ ही पखवाड़े में छोड़ दिया. सिद्धू ने इसके बाद भारतीय जनता पार्टी भी छोड़ दी.सिद्धूपूर्व में भाजपा सेअमृतसरके सांसद होते थे, जो सीट पिछली बार अरुणजेटलीको लड़ने के लिए दे दी गयी और वे वहां से हार गये थे.
सिद्धू ने पार्टी छोड़ने के बाद कहा था कि वे यानी भाजपा वाले उन्हें अपने वतन पंजाब से दूर रहने को कह रहे थे और भला वे ऐसा कैसे कर सकते हैं. सिद्धूका भाजपा की पंजाब में सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से भी अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं.
नवजोत सिंह सिद्धू ने जब भारतीय जनता पार्टी छोड़ी थी, तब अरविंद केजरीवाल ने उनके इस निर्णय को सराहा था और आप नेताओं द्वारा ट्वीट की झड़ी लगायी गयी थी. पर अब हालात बदले दिख रहे हैं, हालांकि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह भी लुभा चुके हैं.
सूत्रों का यह भी कहना है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बात से भयभीत है कि पंजाब में नॉन पॉलिटिकल फेस को प्रोजेक्ट करना उसे दिल्ली में भाजपा की तरह भारी नहीं पड़ जाये, जहां भाजपा ने किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार घोषित किया था. सिद्धू की एक राजनेता की अपेक्षा पूर्व क्रिकेटर व टीवी के हास्य धारावाहिकों के एकप्रतिभागी के रूप में अधिक मजबूत पहचान है, जो राजनेता वाली उनकी छवि पर भारी पड़ती है.