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कश्मीर में शहीद जामताड़ा के प्रमोद को बेटी ने दी मुखाग्नि

मिहिजाम (जामताड़ा): स्वाधीनता दिवस पर श्रीनगर के नौहटा चौक पर आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ कमांडेट प्रमोद कुमार मंगलवार को रेलनगरी चितरंजन के अजय नदी घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गये. इकलौती छह वर्षीय बेटी अरणा ने मुखाग्नि दी. शहीद प्रमोद अमर रहे, भारत माता की जय के नारे के बीच अश्रुपूरित नेत्रों […]

मिहिजाम (जामताड़ा): स्वाधीनता दिवस पर श्रीनगर के नौहटा चौक पर आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ कमांडेट प्रमोद कुमार मंगलवार को रेलनगरी चितरंजन के अजय नदी घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गये. इकलौती छह वर्षीय बेटी अरणा ने मुखाग्नि दी. शहीद प्रमोद अमर रहे, भारत माता की जय के नारे के बीच अश्रुपूरित नेत्रों से हजारों लोगों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी.
अंतिम दर्शन को लगा लोगों को तांता : शवयात्रा शुरू होने से पूर्व उनका पार्थिव शरीर निवास स्थान पर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था. यहां सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें सलामी दी.अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. रीति-रिवाजों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्थिव शरीर को अजय नदी घाट ले जाया गया.
पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे : दिन के करीब 11.30 बजे प्रमोद कुमार के पार्थिव शरीर को पालबगान स्थित कुसुमवाटिका निवास स्थान से पुलिस के फूलों से सजे वाहन में रख कर अंतिम यात्रा निकाली गयी. निवास स्थान से अजय नदी घाट तक चार किलाेमीटर की यात्रा में हजारों लाेग पैदल ही शामिल हुए. जैसे-जैसे शवयात्रा आगे बढ़ रही थी, लोगों की संख्या बढ़ती जा रही थी. बाइक पर सवार सैकड़ों युवक हाथों में तिरंगा लेकर आगे-आगे चल रहे थे. पूरे रास्ते पाकिस्तान मुर्दाबाद, शहीद प्रमोद अमर रहे के गगनभेदी नारे गूंजते रहे. अजय नदी घाट पर मुखाग्नि से पूर्व लोगों ने उनके पार्थिव शव पर पुष्प अर्पित कर नमन किया. सीआरपीएफ व बंगाल पुलिस के जवानों ने मातमी धुन के साथ हवाई फायर कर सम्मान में अपनी राइफल नीचे कर दी.
पार्थिव शरीर की अगुवानी करने झारखंड-बंगाल सीमा पर जुटे थे सैकड़ों लोग
झारखंड-बंगाल सीमा पर रूपनाराणपुर चेकपोस्ट पर करीब 10.30 बजे उनका पार्थिव शव सीआरपीएफ के वाहन से पहुंचा. पार्थिव शरीर की अगुवानी करने जामताड़ा एसडीपीओ पूज्य प्रकाश समेत सैकड़ों स्थानीय लोग मौजूद थे. जैसे-जैसे काफिला उनके निवास स्थान पालबगान की ओर बढ़ रहा था. लोगों का हुजूम भी बढ़ता जा रहा था. लोग घरों से निकल पार्थिव शरीर को नमन कर रहे थे.
कौन-कौन हुए शामिल
शव-यात्रा में झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कृषि मंत्री रणधीर सिंह, विधायक डाॅ इरफान अंसारी, बाराबनी विधायक विधान उपाध्याय, सीआरपीएफ डीजी दुर्गा प्रसाद कोड़े, श्रीनगर एडीजी सुदीप लखोटिया, डीआइजी, आइजी रांची जुल्फिकार हुसैन, दुर्गापुर डीआइजी आरएनएस वहद, डीआइजी सुरेश कुमार, डीआइजी रामाचंद्रन, डीआइजी दुमका देव बिहारी शर्मा, डीसी जामताड़ा रमेश कुमार दुबे, एसपी मनोज कुमार सिंह, डीएसपी पूज्य प्रकाश समेत अन्य शामिल हुए.
आखिरी बोल :
सीआरपीएफ कमांडेट प्रमोद कुमार श्रीनगर में सुबह 8.29 बजे झंडा फहराने के बाद साथियों का हौसला बढ़ाया. जवानों को गैलेंट्री अवार्ड प्रदान किया. इसी बीच उन्हें सूचना मिली की नौहट्टा में चार आतंकी फायरिंग कर रहे हैं. वह 9.29 बजे पर जवानों के साथ नौहट्टा पहुंचे. दो आतंकियों को प्रमोद ने मार गिराया. इसी बीच उन्हें भी गोली लग गयी और वह शहीद हो गये.

मुठभेड़ से चंद मिनट पहले जवानों को संबोधित करते हुए कमांडेट प्रमोद कुमार ने कहा था कि हमारी जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है. मुख्य चुनौती आतंकवाद और पत्थरबाज हैं? इनसे डट कर मुकाबला करना है और हम करेंगे. ये आपकी कड़ी मेहनत से संभव है और इसे पूरी लगन से करना होगा.

पुलिस अफसर बन आतंकियों काे मारूंगी : अरणा
अमर शहीद वीर सपूत प्रमोद कुमार की छह वर्षीय बेटी अरणा की वीरता भरी बोली ने उसके पिता की याद को और ताजा कर दिया. पिता को मुखाग्नि देने के बाद अरणा ने कहा कि वह बड़ी होकर पुलिस अफसर बनेगी. उसके पिता उसे पुलिस अफसर बनाना चाहते थे. उसने कहा कि वह पुलिस अफसर बन पिता के हत्यारों को मारेगी.
शव के पहुंचते ही सबकी आंखें हुई नम
शहीद प्रमोद की पार्थिव शरीर मिहिजाम पालबगान उनके आवास पर आते ही पूरे शहर का माहौल गमगीन हो गया. वहां खड़े सभी की आंखें नम हो गयी. वहीं परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. पत्नी नेहा त्रिपाठी प्रमोद के शव से लिपट कर राेते-रोते बार-बार बेहोश हो जा रही थीं. परिजन उसे बार-बार संभालने तथा सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे. छह वर्षीय बेटी पूरी घटना को रहस्यमय तरीके से देख रही थी. वृद्ध माता कुसूम देवी का भी यही हाल था पिता प्रभु मिस्त्री काफी समय से गले की बीमारी से पीड़ित हैं. जो बोल नहीं पाते हैं. पर उनकी आखें उनके गम का बयां कर रही थी. उनकी आंखों में अपने एकमात्र बेटे को खो देने का दर्द साफ झलक रहा था. वहीं शहीद प्रमोद के अन्य परिजन एवं बहनों का भी कुछ ऐसा ही हाल था. सब ने अपने चहेते को खो दिया था. परिजनों के साथ-साथ वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम थी.

माता-पिता के इकलौते पुत्र थे प्रमोद
जामताड़ा . सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार माता-पिता के इकलौते पुत्र थे. उनके शहीद हो जाने की खबर के बाद से ही माता कुसुम देवी बार-बार बेहोश हो रहीं थीं. वह किसी से बात भी नहीं कर पा रही थीं. स्थिति को देखते हुए परिजनों ने उन्हें दवा देकर सुलाया. वहीं चित्तरंजन में नौकरी से सेवानिवृत हुए पिताजी प्रभु मिस्त्री शुगर और हार्ट की बीमारी से बेबस हैं. ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे थे. लेकिन दूसरों को देख आंखें भर आती थीं. उनका हर्ट का बायपास सर्जरी हो चुका है. उनके साथ बैठे उनके साथी जगनारायण सिंह ने कहा कि वे दोनों साथ ही में चित्तरंजन में सर्विस करते थे. सेवानिवृत हुए 10 वर्ष हो गये हैं. कहा कि प्रमोद बहुत ही मृदु-भाषी थे. श्री नारायण ने कहा कि प्रमोद जब भी घर आते थे, तो सभी लोगों से मिलना-जुलना होता था. वे आमलोगों की तरह रहते थे. प्रमोद के शहीद होने की खबर पाकर घर पर उनके सगे-संबंधी भी पहंुच गये हैं. बहुत समय से पिता प्रभु मिस्त्री गले की बीमारी से पीड़ित हैं. जिस कारण वे बोल नहीं पाते हैं, पर उनकी आंखें उनके गम काे साफ बयां कर रही थी. उनकी आंखों में अपने एकमात्र बेटे को खो देने का दर्द साफ झलक रहा था.

प्रमोद की हैं चार बहनें
प्रमोद की चार बहनें हैं. बड़ी बहन बेबी देवी, मंझली मुन्नी देवी, तीसरी रेणुका देवी तथा छोटी पूनम देवी है. प्रमोद के घर पर उसकी बहन रेणुका की जेठानी भरती शर्मा बरौनी से तथा नंनद नविता शर्मा झरिया से, छोटी बहन पूनम कुमारी की जेठानी पूनम शर्मा कोलकाता से पहुंचीं हैं. संबंधियों ने कहा कि लगभग दो माह पूर्व प्रमोद अंतिम बार घर आये थे. वह अपना परिवार जम्मू ले गये थे. जब पत्नी की तबीयत खराब थी, तो वे परिवार को घर पर छोड़ने के लिए आये हुए थे. उनलोगों ने कहा कि प्रमोद ने चित्तरंजन में पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई की थी. इसके बाद वे देहरादून के स्कूल में चले गये थे पर बाद में फिर यहां आ गये थे.
शहीद की एक झलक पाने को उमड़ा जन सैलाब
शहीद प्रमोद कुमार का पार्थिव शरीर चित्तरंजन के एक नंबर गेट से जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होते गये और देशभक्ति के नारे बुलंद होते गये. चित्तरंजन के प्राय: सभी स्कूलों के छा़त्र-छात्राएं हर चौक-चौराहे पर खड़े होकर प्रमोद कुमार अमर रहे का नारा लगा रहे थे. देशबंधु बुनियादी विद्यालय सुदंरपहाड़ी के छोटे-छोटे बच्चे भी प्रमोद कुमार के सम्मान में नारे लगा रहे थे. शहीद की अंतिम यात्रा में झारखंड के कृषि मंत्री रणधीर सिंह तथा जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी भी शामिल हुए. जामताड़ा विधायक डॉ अंसारी अपने हाथ में भारत का तिरंगा झंडा लिये अपने समर्थकों के साथ शव के आगे-आगे बढ़ते जा रहे थे.
कमांडेंट प्रमाेद कुमार की शहादत बेकार नहीं जायेगी : रघुवर दास
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमांडेंट प्रमाेद कुमार की शहादत काे बहादुरी की असाधारण मिसाल बताया. साथ ही कहा… शहीद प्रमाेद कुमार के बलिदान पर झारखंड काे गर्व है. उनकी शहादत बेकार नहीं जायेगी, बल्कि कायरता का उदाहरण पेश करनेवाले आतंकवादियाें के मंसूबाें पर पानी फेरने में अर्द्धसैनिक बलाें के लिए मील का पत्थर साबित हाेगी. उन्हाेंने अपने शाेक संदेश में कहा : आपकी शहादत बेकार नहीं जायेगी.
प्रमाेद ने दिया अदम्य साहस का परिचय : डीजी
अजय नदी घाट पर सीआरपीएफ डीजी (नयी दिल्ली) दुर्गा प्रसाद कोड़े ने कहा कि शहीद प्रमोद ने अदम्य साहस का परिचय दिया है. नौहट्टा में हुई आंतकी मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने पूरी बहादुरी से डट कर मुकाबला किया. इसमें प्रमोद शहीद हो गये. इससे पूर्व वर्ष 2011, 2013 तथा 2015 में प्रमोद ने आंतकियों से लोहा लेते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया था. हमें प्रमोद पर नाज है. साथ ही दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं. कहा, आंतकियों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे.
प्रमोद की शहादत से देश गौरवान्वित : मंत्री
राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि प्रमोद देश की रक्षा में शहीद हुए हैं. उनकी शहादत को नमन करता हूं. दुख की इस बेला में उनके परिवार के साथ पूरी संवेदना है. यहां की धरती प्रमोद की शहादत से गौरवान्वित महसूस कर रही है. कृषि मंत्री झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के ताैर पर अंतिम संस्कार में शामिल हुए.
इधर जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि प्रमोद कुमार ने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिये हैं. पूरे परिवार के प्रति संवेदना है. देश के सुरक्षा बलों पर देशवासियों को नाज है.
प्रमोद आरंभ से ही मेघावी छात्र रहे
शहीद प्रमोद आरंभ से ही मेघावी छा़त्र रहे. अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र प्रमोद अपनी तीन बहनों के चहेते थे. पिता प्रभु मिस्त्री ने प्रमोद की प्रारंभिक शिक्षा रेलनगरी के संत जोसेफ कांवेंट स्कूल में कराने के बाद प्रमोद को देहरादून के स्कूल में दाखिला करा दिया. यहां से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वापस प्रमोद ने चितरंजन के अंगरेजी मीडियम स्कूल में दाखिला ले लिया. 12वीं पास कर चितरंजन के महाविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने के बाद चितरंजन रेलइंजन कारखाना में अप्रेंटिस के पद पर उनका सेलेक्शन हो गया. तीन साल का कोर्स पूरा करने के क्रम में ही उनका सेलेक्शन केन्द्रीय पुलिस संगठन में हो गया. वर्ष 1998 में सीआरपीएफ का प्रशिक्षण प्राप्त कर राष्ट्र सेवा में जुट गये. सीआरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक प्रमोद काफी बहादुर अफसर थे.
अंडाल से सड़क मार्ग होते हुए पहुंचा प्रमोद का पार्थिव शरीर : हवाई-मार्ग से लाया गया शहीद कमांडेंट का पार्थिव शरीर. श्रीनगर से विमान द्वारा रात्रि करीब आठ बजे प्रमोद का शव लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया था. वहां से हेलीकाॅप्टर द्वारा शव को कोलकाता के रास्ते दुर्गापुर के अंडाल हवाई अड्डे लाया गया. इसके बाद सड़क मार्ग से सीआरपीएफ के वाहन से मिहिजाम स्थित उनके आवास पर लाया गया. पार्थिव शरीर के काफिले को बंगाल पुलिस द्वारा एस्कॉट कर मिहिजाम पहुंचाया गया.

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