सृजन और उसका भाई सर्वस्व अपने पैरेंट्स के साथ शाम में मार्केट जाने को उतावले थे. उन्हें राखी के लिए शाॅपिंग करनी थी. सुंदर-सुंदर राखियां, नयी ड्रेस और गिफ्ट्स. दोनों ने पहले ही प्लानिंग कर ली थी कि वे क्या गिफ्ट्स लेंगे- बार्बी डाॅल और बैट-बाॅल.
सृजन के मन में रह-रह कर राखी के त्योहार को लेकर सवाल उठ रहे थे, जिसे सुलझाने के लिए वह अपने दादा-दादी के पास पहुंची. उन्होंने उसे बताया कि सदियों से हमारे देश में राखी का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है- कोई इसे राखी कहता है, कोई रखड़ी, तो कोई सलूनो. यह भाई-बहन के बीच प्यार, स्नेह और आपसी विश्वास का प्रतीक है. सिर्फ बहनें ही नहीं, भाई भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
बहन कभी फ्रेंड बन कर, तो कभी मां की तरह ममतामयी बन कर भाई को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. भाई भी कभी फ्रेंड की तरह बहन का साथ देता है और कभी पिता की तरह ढाल बन कर उसकी रक्षा करता है. सदियों से राखी रेशम, मौली या कलावा के धागे से बनायी जाती है. इस मौके पर भाई-बहन एक-दूसरे को तरह-तरह के गिफ्ट दे कर अपने प्रेम और भरोसे को भावनाओं में व्यक्त करते हैं. आपसी प्यार को दरसाते ये गिफ्ट्स राखी के त्योहार को यादगार और रिश्ते को मजबूत बनाते हैं. अगर इसे ‘प्यार की बिना शर्त बॉन्ड‘ कहा जाये, तो गलत नहीं होगा.
राखी के बारे में उनको बातेें करता देख सर्वस्व भी वहां आ गया. उसने पूछा- दादाजी भाई-बहन, तो हर देश में होते हैं, तो क्या यह त्योहार हर जगह मनाया जाता है. उनके दादा ने उन्हें समझाते हुए बताया कि असल में राखी हिंदुओं का त्योहार है.
इसकी शुरुआत को लेकर, तो कई कहानियां प्रचलित हैं- कई विद्वान इसे प्राचीन काल के ब्राह्मण श्रावणी पर्व से जोड़ते हैं, इसी तरह इतिहास के पन्नों में कर्णवती और सम्राट हुमायूं, अलेक्जेंडर और पुरू के उदाहरण भी गिनाये जाते हैं, जिन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए राखी का सहारा लिया. तब से राखी का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. सृजन बहुत देर से एक बात पूछना चाहती थी. उससे रहा नहीं गया – भैया के लिए मैंने, जो राखी लायी, वह, तो रेशम के धागे के बजाय चेनवाली है, तो क्या वह राखी नहीं है.
दादाजी उसकी बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोले – बेटा वह आजकल की डिजाइनर राखी है. आज बाजार में इतनी सुंदर-सुंदर राखियां आ गयी हैं कि तुम देखते रह जाओगे. लेकिन, आज भी तुम अपने भाई को एक धागा जरूर बांधती हो, जो परंपरा का ही प्रतीक है. फिर राखी ही नहीं, आज मुंह मीठा कराने के लिए चाॅकलेट मिठाई की जगह लेती जा रही है. तभी सर्वस्व ने बड़ा मासूम और गहराई भरा प्रश्न किया – दादाजी जब राखी के त्योहार में आज इतने बदलाव आएं हैं, तो क्या हम राखी सिर्फ अपने भाई-बहन को ही बांध सकते हैं या किसी और को भी? क्योंकि बहुत से ऐसे बेसहारा बच्चे और बड़े भी होते हैं, जिनका अपना कोई नहीं. दादाजी यह सुन कर बड़े खुश हुए और बोले- क्यों नहीं बेटा! अगर तुम इनके पास जाओ और राखी का त्योहार मनाओ, तो देखना उनके चेहरे कैसे खिल उठेंगे. इससे उनके साथ-साथ तुम्हें भी खुशी मिलेगी.
– रजनी अरोड़ा
अब ई-राखी की भी धूम
आज रक्षाबंधन का यह त्योहार हमारे देश की सीमा लांघ कर विदेशों में भी पहुंच गया है. दुनिया के कई देशों में रहनेवाले हिंदू परिवार के लोग बड़े उत्साह से इस त्योहार को मनाते हैं. यही नहीं वहां के नागरिक भी रक्षाबंधन के त्योहार में उनके साथ शामिल हो जाते हैं. पढ़ाई या फिर नौकरी करने के लिए घर से दूर रहनेवालों और शादी के बाद दूसरे शहर में रहनेवाली बहनें डाक या कुरियर से पोस्ट कर राखी कई दिनों पहले ही भेज देती हैं. फिर आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में बहनें इंटरनेट से डिजीटल या ई-राखी कुछ ही मिनटों में अपने भाई तक पहुंचा देती हैं. आॅनलाइन शाॅपिंग से आज इ-राखी और गिफ्ट्स की पहुंच दुनिया भर में है. तुम घर बैठे मिनटों में अपनी राखी खरीद सकते हो और कहीं भी भेज सकते हो. इसके लिए तुम इन साइट्स की मदद भी ले सकते हो.
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