इस विषय में राज्यपाल से बातचीत हुई है लेकिन अभी इसका खुलासा नहीं करेंगे. वे चाहते हैं कि उच्च शिक्षा के संस्थानों में अनुशासन हर स्तर पर बना रहना चाहिए, इसके लिए सामूहिक रूप से कोशिश होनी चाहिए. मंत्री ने कहा कि सबको ऐसा लगता है कि कर्मचारियों द्वारा प्रेस या मीडिया के सामने मुंह खोलने पर, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला हमारा है, ऐसा नहीं है.
रिवाइज्ड अधिनियम के तहत यह फैसला जादवपुर यूनिवर्सिटी का है. उसे ही तय करना होगा. गाैरतलब है कि यूनिवर्सिटी में यह निर्देश जारी किया गया है कि अगर विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मचारी को मीडिया और प्रेस में राज्य की नीति के अनैतिक प्रसार में लिप्त पाया गया तो यह रिवाइज्ड अधिनियम की गाइडलाइन का उल्लंघन माना जायेगा. इस नये फरमान के बाद शिक्षा जगत में सरकार व शिक्षा विभाग की आलोचना हो रही है.
जादवपुर यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मचारियों का कहना है कि इस अधिनियम से उनके रोज के कामकाज में सरकार हस्तक्षेप बढ़ जायेगा. साथ ही कर्मचारियों की स्वतन्त्रता पर भी पाबंदी लग जायेगी. इस ड्राफ्ट का दूसरा क्लाज यह कहता है कि जादवपुर यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर शिक्षकों के लिए अनुशासनात्मक अथॉरिटी हो सकता है आैर उसे इस मामले में कार्रवाई करने व न करने का निर्णय है.