मुंबई : नौसेना के गोताखोरों ने आज उन बसों के अवशेष खोज निकाले हैं जो महाड के निकट सावित्री नदी में बह गई थीं. यह हादसा दो अगस्त को अंग्रेज जमाने में बनाए गए एक पुल के ढह जाने के कारण हुआ था. रक्षा प्रवक्ता ने बताया, ‘बीते आठ दिन से हर रोज 12 से 14 घंटे तक खोज में जुटे रहने के बाद नौसेना के दलों को महाड में डूबी दो बसों के अवशेष मिल गए हैं.’ उन्होंने बताया कि ये अवशेष बसों के ही प्रतीत हो रहे हैं और ये हादसा स्थल से लगभग 170 से 200 मीटर की दूरी पर मिले हैं. उफनती नदी और इसमें मगरमच्छों की मौजूदगी के बावजूद जगह-जगह खोज जारी थी.
प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है, ‘राष्ट्रीय आपदा राहत बल के दलों को सूचित किया जा रहा है और इन अवशेषों को निकालने के लिए क्रेन मंगवाने का अनुरोध किया जा रहा है.’ भारतीय नौसेना के प्रशिक्षित गोताखोरों के दल बीते चार अगस्त से हादसे के शिकार लोगों और वाहनों के अवशेष खोज रहे थे. अभी तक 26 शव मिल चुके हैं. महाराष्ट्र सरकार ने कल कहा कि मुंबई-गोवा राजमार्ग विस्तार परियोजना के तहत अंग्रेजों के जमाने के इस सेतु को दिसंबर 2016 से यातायात के लिए बंद कर दिया गया था.
राज्य के लोकनिर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बताया कि राज्य में लगभग 2,300 सेतु हैं. इनमें से 100 अंग्रेजों के जमाने के और कुछ तो 17वीं शताब्दी के छत्रपति शिवाजी महाराज के जमाने के हैं. उन्होंने कल कहा, ‘इन पुलों का हर साल दो बार निरीक्षण किया जाएगा. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति ने ढह चुके पुल को लेकर अपना शोध शुरु कर दिया है. इसकी रिपोर्ट 23 अगस्त को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक तक आने की उम्मीद है.’ पाटिल ने बताया कि मामले की न्यायिक जांच शुरू करने की प्रक्रिया भी जारी है.