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प्राइमरी स्कूल काउंसिल के चेयरमैन ने दिया इस्तीफा

सिलीगुड़ी. राज्य शिक्षा विभाग को एक नयी सोच देकर सिलीगुड़ी शिक्षा जिला के प्राइमरी काउंसिल के चेयरमैन मुकुल कांति घोष बुधवार को इस पद से मुक्त हो गये. चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर वे गुरूवार से अपना अध्यापक का पदभार ग्रहण करेंगे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य शिक्षा विभाग को लिखी चिट्ठी में कहा […]

सिलीगुड़ी. राज्य शिक्षा विभाग को एक नयी सोच देकर सिलीगुड़ी शिक्षा जिला के प्राइमरी काउंसिल के चेयरमैन मुकुल कांति घोष बुधवार को इस पद से मुक्त हो गये. चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर वे गुरूवार से अपना अध्यापक का पदभार ग्रहण करेंगे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य शिक्षा विभाग को लिखी चिट्ठी में कहा था कि जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है,वहां अंग्रेजी माध्यम को फिर से शुरू किया जाए. उनके इस सुझा का विरोध भी हुआ.उसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है. वह फिर कभी इस पद पर नहीं लौटेंगे.

गुरूवार से वे उत्तरबंग विश्वविद्यालय के अंतर्गत सूर्यसेन महाविद्यालय में अपना अध्यापक का पदभार ग्रहण करेंगे. यह उनका दूसरा इस्तीफा है. प्राइमरी स्कूल काउंसिल की कुरसी पर वे पहली बार 20 नवंबर 2013 को बैठे थे. उसके बाद 23 जून 2014 को इस्तीफा दिया. फिर उसी वर्ष 16 जुलाई को वापस चेयरमैन का पदभार ग्रहण किया. करीब दो वर्ष तक इस पद पर रहने के बाद उन्होंने फिर से अपना इस्तीफा दे दिया है और दोबार कभी इस पर पर नहीं आने की भी घोषणा की है.

यहां उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही लोग अपने बच्चों को पढ़ाना भी चाहते हैं. यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं कराते. फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी मातृभाषा और संस्कृति को बनाये रखने तथा आर्थिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर अपने बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में कराते हैं. हालांकि अभी भी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है.

कइ ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें नामांकन के लिये विद्यार्थी काफी उत्सुक रहते हैं. फिर भी कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या नगण्य होती जा रही है. उदाहरण के तौर पर सिलीगुड़ी शिक्षा जिला के अंतर्गत देशबंधु पाड़ा स्थित एक नंबर शिशु विद्यालय की बात की जा सकती है. इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या नहीं के बराबर है. इस प्रसंग पर श्री घोष ने बताया कि ऐसे स्कूलों को इंगलिश मिडियम में बलद देना चाहिए. इस विषय में उन्होंने राज्य शिक्षा विभाग को भी पत्र लिखा है. उनका मानना है कि कइ शिक्षक हैं जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ली है. उन शिक्षकों को अंग्रेजी में पढ़ाने के लिए तैयार किया जा सकता है.

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