नयी दिल्ली : कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की आपत्तियों के बीच लोकसभा ने आज कारखाना संशोधन विधेयक को मंजूरी दी जिसमें कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की ओवरटाइम की अवधि को 50 से बढाकर 100 घंटे करने का प्रावधान किया गया है और यह स्वैच्छिक होगा.
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कारखाना संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी
नयी दिल्ली : कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की आपत्तियों के बीच लोकसभा ने आज कारखाना संशोधन विधेयक को मंजूरी दी जिसमें कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की ओवरटाइम की अवधि को 50 से बढाकर 100 घंटे करने का प्रावधान किया गया है और यह स्वैच्छिक होगा. सरकार ने आज कुछ […]
सरकार ने आज कुछ दलों की अपत्तियों के बावजूद लोकसभा में विधेयक पेश किया. कांग्रेस और माकपा ने विधेयक को अनावश्यक और जल्दीबाजी में लाया गया बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने और बाद में समग्र विधेयक लाने की मांग भी की. विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम और रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने सदन में कहा कि विधेयक में उपबंध 64 और 65 में संशोधन के साथ ओवरटाइम बढाने का प्रावधान अनिवार्य नहीं है और स्वैच्छिक है.
उन्होंने कहा कि कारखाने में काम करने वाला कर्मचारी तय करेगा कि उसे ओवरटाइम करना है या नहीं. दत्तात्रेय ने कहा कि विधेयक में संबंधित संशोधन लाना समय की जरुरत इसलिए थी क्योंकि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ आदि के लिहाज से निवेश बढाने के लिए बडी श्रमशक्ति चाहिए होगी. उन्होंने कहा कि ये संशोधन तत्काल जरुरी थे और बाद में समग्र विधेयक को सदन में लाया जाएगा.
मंत्री के जवाब के बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया. माकपा के शंकर प्रसाद दत्ता ने अपने संशोधन पर मत-विभाजन की मांग की जो 15 के मुकाबले 142 मतों से नामंजूर हो गया.
कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खडगे और माकपा के पी करणाकरण ने सरकार से विधेयक को वापस लेने की मांग दोहराई और सरकार द्वारा मांग नहीं माने जाने पर कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने वाकआउट किया। करणाकरण ने आरोप लगाया कि यह ‘भारतीय श्रमिकों के लिए काला दिवस’ है और सरकार ने आरएसएस से संबंधित भारतीय मजदूर संघ समेत किसी श्रमिक संगठन से इस बाबत सुझाव नहीं लिया.
विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने और संघीय ढांचे पर हमला करने के विभिन्न सदस्यों के आरोपों पर अपने जवाब में दत्तात्रेय ने कहा कि हम किसी के अधिकार पर अतिक्रमण नहीं कर रहे है और विधेयक के उद्देश्य में स्पष्ट है कि यह राज्यों के साथ केंद्र को अधिकार प्रदान करेगा। इस विधेयक के तहत क्रियान्वयन के अधिकार और कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्यों के पास ही रहेगी. उन्होंने कहा कि विधेयक में कई सुरक्षा मानक हैं.
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