लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार की ‘वादाखिलाफी’ के विरोध में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले आज आहूत बंद का मिलाजुला असर रहा. परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2013 में हुई महा हड़ताल के दौरान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से सरकार द्वारा मानी गयी चार मुख्य मांगें पूरी ना किये जाने के विरोध में विभिन्न विभागों के करीब 16 लाख राज्यकर्मियों ने आज कामकाज ठप रखा.
अनिश्चितकालीन हो सकती है हड़ताल-संगठन
उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय हड़ताल के पहले दिन आज बेसिक शिक्षा निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, उद्यान निदेशालय, समाज कल्याण निदेशालय, लोक निर्माण विभाग, श्रम विभाग, परिवहन, कोषागार, कृषि तथा लेखा विभाग के कार्यालय बंद रहे. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में तीन घंटे काम बंद रहा. तिवारी ने बताया कि दफ्तर बंद करके उनके गेट पर कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया और शाम को राजभवन के सामने पीडब्ल्यूडी गेट पर बड़ा बैठक की गयी. उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद हड़ताल के तीसरे दिन समीक्षा करके भविष्य की रणनीति तय करेगी. यह हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है.
मांगों के समर्थन में हड़ताल
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में परिषद के ही बैनर तले हुई महा हड़ताल के दौरान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार चार मांगें मानने को तैयार हो गयी थी. इनमें राज्य कर्मचारियों को ‘कैसलेस’ इलाज की सुविधा, तहसीलदारों की पदोन्नति खत्म ना करने, सफाई कर्मचारियों को ग्राम प्रधानों सेदूर करके उनकी पदोन्नति की नियमावली बनाने और लिपिकों की समय से पदोन्नति में व्याप्त बाधाएं दूर करना शामिल था. तिवारी ने बताया कि उस समय सरकार ने इन मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया. अन्य मांगों को लेकर समितियां तो बनायी लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ.