लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले मकान किराये भत्ते में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है और खादी एवं हथकरघा से जुडे बुनकरों को रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकारी विभागों के लिए लघु, कुटीर और हथकरघा इकाईयों से उत्पादित 11 प्रकार के वस्त्रों की खरीद को अनिवार्य कर दिया है. यह फैसले आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुए मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गये हैं. सरकारी प्रवक्ता ने बताया है मंत्रिपरिषद ने राज्य के विभिन्न श्रेणी के कार्मिको को वर्तमान में मिल रहे मकान किराये भत्ते की दरों में 20 प्रतिशत की वृद्वि करने का निर्णय लिया गया. यह वृद्वि एक अगस्त 2016 से प्रभावी होगी. मकान किराये भत्ते की दरों में वृद्वि के फलस्वरूप राज्य सरकार पर लगभग 500 करोड रुपये का अतिरिक्त वार्षिक व्यय भार आयेगा.
राज्य के साढ़े आठ लाख कर्मचारियों को फायदा
प्रवक्ता ने बताया कि इस निर्णय से प्रदेश के साढ़े आठ लाख राजकीय कर्मचारी, साढ़े पांच लाख शिक्षक, एक लाख शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय निकाय, जिला पंचायत, विकास प्राधिकरणों, स्वशासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों तथा विकास प्राधिकरणों के कर्मचारी लाभान्वित होंगे. इस फैसले से न्यूनतम मकान किराया भत्ता 300 रुपये प्रतिमाह के स्थान पर बढ़कर 360 रुपये तथा अधिकतम 10.500 रुपये प्रतिमाह के स्थान पर 12.600 रुपये प्रतिमाह हो जायेगा. उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रिपरिषद ने सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन निगमों तथा स्वयत्तशासी संस्थाओं के लिए लघु, कुटीर और हथकरघा इकाईयों में बनने वाले 11 प्रकार के वस्त्रों की खरीदारी अनिवार्य कर दी है.
बुनकरों को प्राथमिकता
प्रवक्ता ने बताया कि यह निर्णय हथकरघा एवं कुटीर उद्यमों से जुड़े बुनकरों को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की दृष्टि से लिया गया है. उन्होंने बताया कि सरकारी विभाग इन वस्त्रों का क्रय राज हथकरघा निगम, यूपिका, उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से वित्त पोषित संस्थाओं, गांधी आश्रम तथा उत्तर प्रदेश हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम के माध्यम से करेंगे. प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने मुफ्त ई-रिक्शा दिये जाने योजना में महिला चालकों के चयन में पारिवारिक हिंसा से पीड़ित, तेजाब के हमले से घायल, निशक्त तथा बेसहारा गरीब महिलाओं को प्राथमिकता देने का फैसला किया है.