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Result Scam : करोड़ों के घोटाले का मास्टरमाइंड निकला बोर्ड ऑफिस का स्टोरकीपर

पटना : बिहार में हुए टॉपर घोटाले में रोजाना नये-नये खुलासे हो रहे हैं. इसी क्रम में यह मामला प्रकाश में आया है कि बोर्ड के पूर्व सचिव का खास शागिर्द और जेल में बंद विकास ने फर्जी टेंडर के माध्यम से कई प्रिंटिंग कंपनियों को जहां करोड़ों का चुना लगाया है वहीं दूसरी ओर […]

पटना : बिहार में हुए टॉपर घोटाले में रोजाना नये-नये खुलासे हो रहे हैं. इसी क्रम में यह मामला प्रकाश में आया है कि बोर्ड के पूर्व सचिव का खास शागिर्द और जेल में बंद विकास ने फर्जी टेंडर के माध्यम से कई प्रिंटिंग कंपनियों को जहां करोड़ों का चुना लगाया है वहीं दूसरी ओर इसके जरिये लालकेश्वर और हरिहर नाथ झा को करोड़ों का लाभ पहुंचाया है. बोर्ड में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम ना खुलासा करने की शर्त पर बताया कि बिहार बोर्ड के पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा के चेंबर में लाखों रुपये के गहने से लदा रहने वाला विकास देखने में किसी ग्लैमरस हस्ती का बाउंसर लगता था लेकिन वह असली में बोर्ड का कर्मचारी होते हुए अध्यक्ष और सचिव का पोषित ब्रोकर था. बोर्ड ऑफिस के माध्यम से विकास ने जहां करोड़ों की संपत्ति अर्जित की वहीं पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर और हरिहरनाथ झा को भी फायदा पहुंचाया.

प्रिंटिंग का सारा कांट्रेक्ट विकास से होकर गुजरता था

बोर्ड ऑफिस में काम करने वाले उस कर्मचारी ने बताया कि विकास इतने पावर में रहता था कि बिना उससे बात किये हरिहरनाथ झा खाना तक नहीं खाते थे. वह अपनी कुर्सी से उठने से पहले और वाशरूम जाते वक्त भी विकास से सलाह मशविरा करते थे. विकास बोर्ड ऑफिस के सभी कर्मचारियों को धमकाये रखता था. कई बार उसने पत्रकारों से भी बदतमीजी की थी और शिक्षा मंत्री का हवाला देने पर उन्हें भी देख लेने की बात कहता था. विकास ने लालकेश्वर और हरिहर नाथ झा के सहयोग से गुजरात की विंदिया कंपनी से करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. विकास बोर्ड ऑफिस में स्टोरकीपर था लेकिन वह बराबर हरिहरनाथ झा के बगल में दिनभर बैठता था.

छोटे-छोटे काम के लिये भी लेता था पैसे

विकास ने बोर्ड ऑफिस में भ्रष्टाचार का बकायदा चेन बना रखा था. सर्टिफिकेट में नामठीककरने या किसी गलती को ठीक करवाने के लिये सचिव के हस्ताक्षर की जरूरत होती थी. उसके लिये भी बोर्ड में पैसे वसूले जाते थे. मार्कशीट, सर्टिफिकेट की छपाई भी उसी की मिलीभगत वाली कंपनियों में होती थी. तीनों की तिकड़ी ने मिलकर गुजरात की कंपनी को लगभग नौ करोड़ रुपये का चूना लगाया है.

फर्जी टेंडर किया था जारी

विकास ने फर्जी मेल आईडी बनाकार गुजरात की कंपनी को बोर्ड की कॉपियों के लिये टेंडर जारी किया . उसने इसे स्वयं अंजाम दिया और फर्जी मेल के जरिये कंपनी को फंसाया. टेंडर जारी होने की सूचना के बाद कंपनी के मालिक ने करीब चार लाख रुपये की उत्तर पुस्तिका स्टोरकीपर और मास्टरमाइंट विकास के बताये पते पर भेज दी. विकास ने जीरो माइल के पास एक गोदाम में गुजरात से आई 24 ट्रक कॉपियां मंगाई और जब पेमेंट की बारी आयी तो इनलोगों ने कंपनी को अंगूठा दिखा दिया. एसआइटी अब इस पूरे मामले को खंगालने में जुटी है.

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