बहुत अर्से से इस बात का दावा किया जा रहा था कि विंस्टन चर्चिल ने अस्थाई रूप से लंदन में एक होटल में एक कमरा युगोस्लाविया को दिया था.
इसका मकसद था कि एक युवराज युगोस्लाव क्षेत्र में पैदा हो सके. लेकिन इस कहानी को साबित करने वाले तथ्य का मिलना बहुत मुश्किल है, शायद नामुमकिन.
17 जुलाई 1945 को ब्रिटेन (यूके) थोड़ा छोटा हो गया और युगोस्लाविया थोड़ा बड़ा. विंस्टन चर्चिल के आदेश पर लंदन के क्लैरिज होटल के सुइट 212 केवल एक दिन के लिए युगोस्लाव क्षेत्र बन गया था.
इससे निर्वासित शाही परिवार का हिस्सा, युगोस्लाविया के युवराज एलेक्ज़ेंडर, अपने घरेलू क्षेत्र में पैदा हो पाए. सामने का कमरा अंतरराष्ट्रीय सीमा बन गया. रूम सर्विस एक देश में किया गया और दूसरे देश में उसे दिया गया.
सुइट 212 की कहानी कई बार युवराज के वेबसाइट, क्लैरिज़ के आधिकारिक इतिहास और सैंकड़ों किताबों में लिखा गया है.
केवल एक दिक्कत है. ऐसा लगता है कि इस बात के कोई पुख़्ता सबूत नहीं हैं कि ये वाकई सत्य है.
अप्रैल 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और उसके सहयोगी देशों की सेना ने युगोस्लाविया पर हमला कर उस पर कब्ज़ा जमा लिया.
महज़ 17 साल के युगोस्लाविया के किंग पीटर II ने अपनी सरकार के साथ देश छोड़ दिया और एथेंन्स, येरुशलम और काहिरा के रास्ते लंदन पहुंचे.
किंग पीटर और उनकी पत्नी महारानी एलेक्ज़ेंड्रिया, लंदन के सबसे फैशनेबल होटलों में से एक क्लैरिज होटल में ठहरे. यहीं पर चार साल बाद महारानी गर्भवती हुईं.
शाही जोड़ा एक दुविधा में पड़ गया. वो चाहते थे कि उनका पहला बच्चा उस देश में पैदा हों जहां वो शासन करेंगे.
लेकिन यूरोप में युद्ध ख़त्म होने के बाद युगोस्लाविया एक कम्युनिस्ट रिपब्लिक होने की राह पर था.
इसलिए कहा जाता है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने किंग पीटर II के सामने एक प्रस्ताव रखा कि राष्ट्र की सीमाओं को दोबारा निर्धारित किया जाए.
इससे लंदन के एक छोटे हिस्से को युगोस्लाविया बनाया जा सके जिससे भावी राजा देश की ही ज़मीन पर पैदा हो सके.
अगर ये प्रस्ताव वाकई में रखा गया था तो उम्मीद की जाती है कि इसके कुछ तो सबूत मौजूद रहे होंगे.
संसद का कोई अधिनियम, कोई आधिकारिक ज्ञापन, या फिर अख़बार की कोई कहानी जो ब्रिटिश नागरिकों को बताता कि उनका देश छोटा हो गया है. लेकिन लगता नहीं ऐसा कुछ है.
चर्चिल अभिलेखों, जिसमें सैंकड़ों डिजिटल दस्तावेज़ हैं उससे कोई सबूत नहीं मिल पाए हैं. राष्ट्रीय अभिलेखागार को भी कोई सबूत नहीं मिले.
एक मात्र दस्तावेज़ जिसमें युगोस्लाविया और क्लैरिज का ज़िक्र है वो है ब्रिटिश विदेश कार्यालय को लिखी गई एक चिट्ठी जिसकी तारीख़ 23 जुलाई 1945 है.
युगोस्लाव दूतावास के काउंसिलर डॉ डी प्रोटिक के हस्ताक्षर किए चिट्ठी में लिखा है, "पूरे सम्मान के साथ मैं सूचित करना चाहता हूं कि महारानी क्वीन एलेक्जेंड्रा ने क्लैरिज होटल में एक बेटे को जन्म दिया, और महारानी के पहचान पत्र और राशन कार्ड में 41 अपर ग्रॉसवेनर स्ट्रीट, डब्ल्यू 1 का पता लिखा है."
इस चिट्ठी में चर्चिल का किंग पीटर II के साथ हुए किसी डील का ज़िक्र नहीं है.
इसका कोई ज़िक्र हैनसर्ड में नहीं है जो ब्रिटिश संसद में बोले गए हर शब्द को रिकॉर्ड करता है या किसी भी ब्रिटिश अख़बार में.
सर मार्टिन गिलबर्ट की चर्चिल पर जीवनी में भी इस डील के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
ब्रिटेन के किंग जॉर्ज VI के निजी सेक्रेटरी सर एलन लासिलेस की डायरी में भी इसका कोई ज़िक्र नहीं है.
कहानी के कुछ पहलुओं में सुइट 212 किंग जॉर्ज VI को सौंप दिया गया था जो बाद में युवराज एलेक्ज़ेंडर के गॉड फादर बन गए.
तो अगर ब्रिटेन में चर्चिल की डील के बारे में कोई सबूत नहीं हैं तो क्या वो कहीं दूसरे जगह पर उपलब्ध है?
राजकुमार एलेक्ज़ेंडर ने बीबीसी को बताया, "दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी फाइलें बहुत पहले ही मेरे पिता के ऑफिस से गायब हो गए हैं."
"इन फाइलों में युद्ध के समय वाली सभी फाइलें, ख़ासतौर पर चर्चिल, रूसवेल्ट, स्टालिन और बहुत सारे लोगों की चिट्ठियां भी शामिल हैं."
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉ बॉब मोरिस का कहना है कि वो प्रधानमंत्री या किसी दूसरे के किसी भी ताकत ऐसे ताकत से अवगत नहीं हैं जिसके तहत यूके क्षेत्र का कोई भी हिस्सा अस्थाई रूप से किसी को भी दिया जा सके.
राजकुमार एलेक्ज़ेंडर कहते हैं, "मेरे जन्म से जुड़े कमरे को लेकर दस्तावेज़ भी गायब हैं. जब मैं पैदा हुआ तो मुझे कभी भी ब्रिटिश जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिला क्योंकि तकनीकी रूप से मैं युगोस्लाविया में पैदा हुआ."
राजकुमार एलेक्ज़ेंडर के कार्यालय के मुताबिक चर्चिल का प्रस्ताव किंग पीटर II के साथ बैठक के दौरान शायद मई 1945 में दिया गया था.
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