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अब तक नहीं बन सकी एक भी निर्मल पंचायत

दिखावा साबित हो रहा स्वच्छ भारत का संकल्प केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना निर्मल भारत योजना दिखावा साबित हो रही है. जिले में 460246 शौचालय बनाने का लक्ष्य है, पर मात्र 80294 शौचालय ही बन पाये हैं, जबकि जिले की किसी भी पंचायत को अब तक निर्मल पंचायत नहीं बनाया जा सका है. भभुआ […]

दिखावा साबित हो रहा स्वच्छ भारत का संकल्प
केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना निर्मल भारत योजना दिखावा साबित हो रही है. जिले में 460246 शौचालय बनाने का लक्ष्य है, पर मात्र 80294 शौचालय ही बन पाये हैं, जबकि जिले की किसी भी पंचायत को अब तक निर्मल पंचायत नहीं बनाया जा सका है.
भभुआ (नगर) : पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कराये जाने के लिए घर-घर शौचालय निर्माण की रफ्तार काफी धीमी है. केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना निर्मल भारत योजना गांवों व शहरों में सिर्फ दिखावा साबित हो रही है. इसके लिए सरकार द्वारा विज्ञापन और प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं, लेकिन शौचालय निर्माण सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाता है. जिला जल व स्वच्छता समिति से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में चार लाख 60 हजार 246 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित है. इसके विरुद्ध अब तक विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक 80294 शौचालय का निर्माण कराया जा सका है.
शौचालय बनाने की प्रक्रिया शुरू होते ही दलाल हो जाते हैं सक्रिय
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रति लाभुक एक शौचालय के लिए 12 हजार रुपये देने का प्रावधान है.इसमें 10 हजार रुपये शौचालय निर्माण और दो हजार रुपये शौचालय के साथ पानी संग्रह करने के लिए टंकी बनाये जाने के लिए दिये जाते हैं. लेकिन वस्तु स्थिति यह है कि बहुत जगहो पर शौचालय का निर्माण धरातल पर न होकर कागजो पर रह गया है. पता चला है कि ग्रामीणों द्वारा शौचालय बनाने की प्रक्रिया शुरू होते ही दलाल सक्रिय हो जाते हैं और ग्रामीणों को मिलने वाला अनुदान कागजों पर रहा जाता है. यह खेल बहुत दिनों से चल रहा है.
11 प्रखंडों में सिर्फ छह ब्लॉक को-अॉर्डिनेटर : कैमूर जिला अब भसी निर्मल पंचायत बनने की बाट जोह रहा है. इस रास्ते में कई अड़चने भी है एक तो जिले के 11 प्रखंडों में सिर्फ छह ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर की कार्यरत हैं, जिनके ऊपर शौचालय निर्माण से जुड़े आवेदनों और निर्माण की सत्यता की जांच की जिम्मेवारी होती है. इस काम में मुखिया जी का भी अहम रोल है. लेकिन जिले में अब तक एक भी पंचायत को निर्मल पंचायत नहीं बनाया जा सका है. वहीं राशि का अभाव इस काम में बाधक बना हुआ है. विभाग को पिछले वित्तीय वर्ष 2016-16 में तीन करोड़ की राशि प्राप्त हुई है, जबकि इस वित्तीय वर्ष में इस मद में कोई राशि नहीं आयी है.
दो अक्तूबर तक पांच पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य
जिला जल एवं स्वच्छता समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी दो अक्तूबर यानी गांधी जयंती तक पांच पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन राशि के अभाव व कर्मियों की कमी इस काम में बाधक बन सकती है. दो अक्तूबर तक नुआंव के चंडेश में 586, कुदरा के डेरवा में 1501, चांद के कुड्डी में 1487, भभुआ के मिरियां में 3144, रामगढ़ के बड़ौरा में 1193 शौचालय बनाये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
शौचालय निर्माण की हो रही मॉनीटरिंग
विभिन्न पंचायतों में शौचालय निर्माण की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है. ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर की कमी से इस योजना में थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं. दो अक्तूबर तक पांच पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाये जाने के लिएप्रयास जारी है.
अरविंद कुमार, जिला समन्वयक, जिला जल एवं स्वच्छता समिति

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