पटना : बिहार विधानसभा ने आज बिहार वैट मूल्यवर्द्धित कर संशोधन विधेयक 2016 के साथ आठ बिल पारित कर दिया. बिहार विधानसभा में आज इन विधेयकों को पेश करने की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2016 और बिहार विधि निरसन जो आवश्यक और सुसंगत नहीं रह गये हैं, विधेयक 2016 को सदन में पेश किया. बिहार विधानसभा द्वारा आज पारित विधेयकों में सात विधेयक सर्वसम्मति से स्वीकृत हुए जबकि बिहार मूल्यवर्द्धित कर संशोधन विधेयक 2016 भाजपा के विरोध के कारण उसके द्वारा वोटिंग कराए जाने की मांग किए जाने पर इस विधेयक के पक्ष में 151 मत और विरोध में 51 मत पड़े.
कर की दर में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी
बिहार मूल्यवर्द्धित कर संशोधन विधेयक 2016 में कई वस्तुओं पर कर की दर पांच प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत किया गया है तथा ऐसी वस्तुएं जो कि बिहार मूल्यवर्द्धित कर :वैट: अधिनियम 2005 के अंतर्गत किसी भी अनुसूची में विनिर्दिष्ट नहीं है, इस पर लागू 14.5 प्रतिशत की कर दर को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया है. बिहार के वाणिज्य कर मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कर में बढ़ोत्तरी को आवश्यक बताते हुए कहा कि प्रदेश में पूर्णशराबबंदी और सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने से सरकारी कर्मियों के वेतन मेंबढ़ोत्तरी के कारण अतिरिक्त राजस्व भार के मद्देनजर ऐसा करना पड़ा है.
भाजपा ने वैट का किया विरोध
वहीं, भाजपा ने कर में बढोत्तरी से गरीबों पर और भी बोझ बढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि विभिन्न सेवाओं और सामग्रियों के लिए अब उन्हें अधिक राशि देनी पड़ेगी. बिहार विधानसभा में आज पारित किये गये बिहार मोटर वाहन काराधान संशोधन विधेयक 2016 में भी अतिरिक्त कर लगाये जाने का प्रावधान किया गया है. बिहार लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2016 में नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी होने तक वर्तमान अध्यक्ष की आयु सीमा में छूट देते हुए उसे 70 साल कर दिया गया है.
सदन में पारित हुए सभी विधेयक
बिहार विधि निरसन :जो आवश्यक और सुसंगत नहीं रह गये हैं: विधेयक 2016 के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया कि पूर्व में चौकीदार की बहाली और उनके भुगतान को लेकर 1870 और 1871 में दो कानून बनाये थे, पर अब 1990 में चौकीदार के सरकारी सेवक होने का निर्णय ले लिए जाने के कारण अब उक्त कानून की आवश्यकता नहीं रह गयी थी, इसलिए उसे निरस्त किया जाना आवश्यक था. सदन द्वारा आज पारित अन्य विधेयकों में बिहार कृषि विश्वविद्यालय :निरसन: विधेयक 2016 भी शामिल है जिसके तहत पूसा कृषि विश्वविद्यालय का सृजन किया गया. अब विश्वविद्यालय को केंद्र द्वारा उत्कर्मित कर इसका नाम राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय कर दिया गया है. सदन द्वारा परित किये गये अन्य विधेयकों में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2016, बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन विधेयक 2016 और बिहार राज्य विश्वविद्यालय :संशोधन: विधेयक 2016 शामिल हैं.