श्रावण अमावस्या का शिवभक्तों के लिए बड़ा महत्व है. दस दिन शिवजी की पूजा से विशेष फलों की प्राप्त होती है. इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. श्रावण के महीनें में पूरी पृथ्वी हरी-भरी हो जाती है, इसी वजह से इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण अमावस्या की तिथि पितरों को समर्पित है. इस दिन भूखे को भोजन कराने से पितरों के साथ देवता भी तृप्त हो जाते हैं तथा सभी सुख प्रदान करते हैं. इस दिन शिव का पितृ रूप में विधि-विधान पूर्वक पूजन करने तथा अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाने से शिव प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं. इस दिन तीर्थ में स्नान-दान का भी विशेष महत्व है, जिससे पितृगण प्रसन्न होते हैं.
इस दिन पौधारोपण को माना जाता है शुभ
हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाना शुभ माना जाता है. कुछ स्थानों पर इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसके फेरे लगाने और मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है. साथ ही इस दिन नये पौधे लगाने की परंपरा भी है. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन हर व्यक्ति को एक पौधा अवश्य रोपना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि वृक्षों में देवताओं का वास होता है. शास्त्र अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है. इसी प्रकार आंवले के पेड़ में लक्ष्मीनारायण के विराजमान होने की बात कही गयी है.
इस दिन इस पौधों के लगाने से होगा विशेष लाभ
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए : लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए तुलसी, आंवला, केला, बेल आदि का वृक्ष लगाएं.
सौभाग्य प्राप्ति के लिए : अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए अशोक, अर्जुन, नारियल, बरगद (वट) आदि का वृक्ष लगाएं.
संतान प्राप्ति के लिए : जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति की कामना है वे पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, उड़हल, अश्वगन्धा आदि के पेड-पौधे लगाएं.
मेधा वृद्धि के लिए : मेधा में वृद्धि के लिए साधक आंकड़, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी आदि के पेड़-पौधे लगाएं.
सुख प्राप्ति के लिए : सुख की कामना करने वाले साधक नीम, कदम्ब, धनी आदि के छायादार वृक्ष लगाएं.
आनन्द प्राप्ति के लिए : आनंद की प्राप्ति के लिए साधकों को हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा, गुलाब आदि के पेड़-पौधे लगाने चाहिए.