अहमदाबाद : गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद प्रदेश की कमान किसको दी जाएगी इस पर कयासों का दौर जारी है. जानकारों की मानें तो गुजरात में गिरते जनाधार को संभालने के लिए पार्टीव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघअमित शाह को भी अगला मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर सकता है.लेकिनअमित शाह के पास अभी कुछ ऐसे टास्क हैं कि यह निर्णय लेना बेहद कठिन होगा. उनके पास यूपी चुनाव की जिम्मेवारी है और अभी-अभी असम में जीत का तमगा उन्हें मिला है.उधर, सूत्र नितिन पटेल का नाम मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार के रूप में बता रहे हैं.राज्य सरकार में मंत्रीनितिन पटेल सूबे की राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं और उनको दरकिनार करके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को मुख्यमंत्री पद पर बैठा देना पार्टी के लिए मुश्किल भरा फैसला हो सकता है.नितिन पटेल बहुसंख्यक पटेलों का प्रतिनिधित्व करते हैं.हालांकि पार्टी नितिन पर भी कितना भरोसा दिखायेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा क्योंकि मुख्यमंत्री पद की रेस में अन्य लोग भी हैं.
कुछ दिन पहले ही मिला है शाह को दूसरा टर्म
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह को दूसरे कार्यकाल के लिए कुछ महीने पहले ही निर्विरोध चुना गया है. अध्यक्ष पद पर शाह के कार्यकाल के दौरान पार्टी की सदस्यता में तेजी से बढोत्तरी हुई जिसके कारण पार्टी ने दोबारा उन पर भरोसा दिखाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एक तरह से पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए शाह के नाम को प्रस्तावित किया था और नामांकन में किसी अन्य नेता का नाम आगे नहीं किया गया. 51 वर्षीय शाह के पक्ष में 17 नामांकन पेश किये गए थे. पॉल्टिकल पंडितों की मानें तो अब ऐसे में पार्टी को पूरे देश में जनाधार दिलाने वाले शाह को भाजपा मात्र एक प्रदेश तक में सीमित करने की भूल नहीं करेगी.अमित शाह के अध्यक्ष रहते पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, असम आदि राज्यों में चुनाव जीता.
बिहार की हार के बाद फिर मिला विश्वास
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने फिरअसम में जीत दर्ज करा कर, बंगाल में वोट प्रतिशत बढवा कर व केरल में खाता खोलकर पार्टी जनों व संघ व मोदी का विश्वास हासिल किया. बिहार के बाद इस साल हुए पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा जिसके कारण अमित शाह का हौसला फिर एक बार बुलंद हो गया. नार्थ इस्ट के असम में भाजपा की जीत को खुद पीएम मोदी ऐतिहासिक और अभूतपूर्व बता चुके हैं. असम के साथ अन्य राज्यों में भी पार्टी के वोट में इजाफा हुआ जिसपर शाह ने खुशी जताई थी. शाह की मेहनत का ही असर था कि पश्चिम बंगाल में पार्टी का मत अंश 2011 के विधानसभा चुनाव के 4.6 फीसद था जो 2016 में बढ़कर 10.7 फीसद हो गया. केरल में उसने अपने सहयोगी दल बीजेडीएस के साथ 15 फीसद से अधिक वोट हासिल किए, जो 2011 में मात्र 6 फीसद थे.
यूपी फतह की ओर शाहका कदम
2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. जानकारों की मानें तो पार्टी उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनाकर भूल नहीं करना चाहेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को 80 में 71 सीटों पर विजय दिलाने का श्रेय शाह को ही जाता है. अब ऐसे वक्त में पार्टी यूपी जैसे राज्य को नजर अंदाज करके शाह को गुजरात का मुख्यमंत्री पद देकर गलती नहीं करेगी क्योंकि वहां अभी पटेल आरक्षण और उना दलित मामला गर्म है जिसे समाप्त करना सूबे की सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. उत्तर प्रदेश चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार की 2 साल की खूबियों को भाजपा यूपी में समाजवादी पार्टी के 5 साल के कुशासन के मुकाबले में गिनवाने की तैयारी कर रही है. भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ में सरकार की परफॉर्मेंस की तुलना यूपी सरकार से की जाएगी जिसमें शाह अहम भूमिका में नजर आयेंगे.