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बौद्ध मठों की स्कैनिंग शुरू

गया: बोधगया स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध मठों की स्कैनिंग शुरू कर दी गयी है. राज्य सरकार व जिला प्रशासन के निर्देश पर बोधगया नगर पंचायत द्वारा इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है व बौद्ध मठों के निर्माण से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां मांगी जा रही हैं. इसी कड़ी में बगैर नक्शा […]

गया: बोधगया स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध मठों की स्कैनिंग शुरू कर दी गयी है. राज्य सरकार व जिला प्रशासन के निर्देश पर बोधगया नगर पंचायत द्वारा इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है व बौद्ध मठों के निर्माण से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां मांगी जा रही हैं. इसी कड़ी में बगैर नक्शा पास कराये व बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर भवन का निर्माण करने के आरोप में स्थानीय रॉयल थाई मोनास्टरी के प्रबंधन से नगर पंचायत ने 11 लाख रुपये की वसूली की. नगर पंचायत ने इसके लिए बोधगया थाने में मामला दर्ज कराया व बकाया होल्डिंग टैक्स के साथ ही अवैध रूप से भवन निर्माण किये जाने के एवज में जुर्माना भी ठोका.
नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार बोधगया स्थित सभी बौद्ध मठों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी गयी है. नियमों का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई भी की जायेगी. गौरतलब है कि फिलहाल बोधगया क्षेत्र में 55 से ज्यादा बौद्ध मठ हैं व यहां बुद्ध के मंदिर के साथ ही श्रद्धालुओं-पर्यटकों के ठहरने के लिए काफी संख्या में कमरे भी उपलब्ध हैं. यह भी कि, डीएम कुमार रवि ने विगत 25 जुलाई को बोधगया नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से निर्देश जारी किया था कि बोधगया स्थित विभिन्न देशों के मठों/धर्मशालाओं के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने को लेकर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव द्वारा बताया गया है कि विभिन्न मठों के निर्माण के संबंध में यह जांच किया जाना चाहिए कि उनका निर्माण विधि सम्मत बायलॉज के अनुरूप व नगर पंचायत से नक्शे की स्वीकृति है या नहीं? डीएम ने इसके आलोक में कार्रवाई करने व स्थिति से अवगत कराने का भी निर्देश दिया था.
नियमों के पालन को लेकर सरकार गंभीर : बोधगया स्थित बौद्ध मठों के व्यवसायीकरण व स्थानीय नियम-कानूनों का पालन किये जाने जाने को लेकर विगत एक जुलाई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक की गयी थी. इसमें इस बात की चर्चा की गयी थी कि बोधगया में सरकार द्वारा विभिन्न पर्यटकीय संरचनाओं के निर्माण व पूंजी निवेश के बावजूद स्थानीय अर्थव्यवस्था को जो लाभ पहुंचना चाहिए, वह नहीं पहुंच रहा है. कहा गया था कि विभिन्न बौद्ध धर्मावलंबी देशों के विभिन्न संस्थाओं द्वारा मठों के नाम पर आवासीय/ व्यावसायिक संरचना का निर्माण कर लिया गया है. साथ विदेशी यात्रियों को उक्त मठों में ही ठहरा लिया जाता है, जिससे होटल व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

बैठक में इसकी भी चर्चा हुई कि विभिन्न माध्यमों से यह भी जानकारी मिली है कि इन मठों द्वारा स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करके मठों में आवासन की व्यवस्था की जाती है. स्थानीय प्राधिकार से निर्माण संबंधी प्रारूप या नक्शा पर सहमति नहीं ली जाती है. साथ ही, विदेशों से आने वाले पर्यटकों के बारे में स्थानीय पुलिस थाने को सूचना भी नहीं दी जाती है. इन बिंदुओं की समीक्षा का विधि सम्मत कार्ययोजना तैयार की जाये. हालांकि, इस बैठक में मौजूद गया के डीएम कुमार रवि ने भी उक्त बिंदुओं पर सहमति जताते हुए कहा था कि जांच के दौरान मठों द्वारा आवश्यक सहयोग नहीं किया जाता है व प्राय: कहा जाता है कि मांगे जा रहे कागजात संबंधित देशों के नयी दिल्ली स्थित दूतावासों से मांगी जाये. इसके अलावा भी अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गयी व जरूरी कदम उठाने का निर्णय भी लिया गया. अब इस दिशा में स्थानीय प्रशासन काम करने में भी जुट गयी है.

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