अधिकारियों ने बताया कि इस अवधि के दौरान वे विश्वभारती विश्वविद्यालय के समग्र स्थल प्रबंधन को लेकर प्रस्ताव भी बनायेंगे. वे विश्वविद्यालय परिसर के बिखरे और अव्यवस्थित विकास को नियंत्रित करने के लिए मार्ग दर्शन भी देंगे ताकि इस संस्थान की स्थापना के पीछे टैगोर की मूल भावना को पुनर्स्थापित की जा सके.
विश्वभारती विश्वविद्यालय के अधिकारी बीते कुछ साल से इस स्थल को यूनेस्को की विश्व विरासतों की सूची में शमिल करवाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक असफलता ही हाथ नहीं लगी है. एमआइटी हार्वर्ड बोस्टन समुदाय और आइआइटी खड़गपुर के शिक्षक सदस्य तथा शोधकर्ता इस काम में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेंगे. अधिकारियों ने बताया कि ‘खोवाई’ के निकट पर्यावरण और बरसाती जल के संरक्षण के लिए वे रणनीतिक योजना भी बनायेंगे. इस पर्यावरणीय क्षेत्र के लिए मिट्टी का क्षरण, कटाव में कमी, संरचना में बदलाव और वनस्पति तथा जीव-जंतुओं का कम होना जैसे मुद्दे प्रमुख हैं.