अहमदाबाद: उना में दलितों पर कथित गौरक्षकों द्वारा किए गए अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करने के बाद दलितों ने अहमदाबाद में रविवार को महासम्मेलन का आयेाजन किया जिसमें निर्णय लिया गया कि 5 अगस्त को पदयात्रा शुरू करके 15 अगस्त को उना में दलित स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. इतना ही नहीं सम्मेलन के दौरान दलितों ने शपथ ली कि अब वो मृत पशु उठाने के काम से अलग रहेंगे और जातिगत तौर पर थोपे जा रहे सफाई जैसे काम नहीं करेंगे.
महासम्मेलन में तय किया गया कि अपने अधिकारों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान दलित युवाओं पर हुए केसों के विरोध में आंदोलन और तेज किया जाएगा. दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि कानूनी तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद गरीब दलित युवकों के खिलाफ फर्जी केस दायर किए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो केस दलितों पर किए गए हैं वो तत्काल हटाए जाएं, वरना इससे भी बड़ी तादाद में लोग अहमदाबाद की सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे.
इधर, विरोध प्रदर्शनों के दौरान जहर पीने वाले एक युवक की अहमदाबाद सिविल अस्पताल में मौत हो गई.
उना की घटना के पीड़ितों के परिजन भी इस रैली में शामिल हुए जिनका आक्रोश उनके भाषणों में साफ झलक रहा था. एक पीड़ित के भाई ने कहा कि जब घटना हुई तो मुझे भी बहुत दुख हुआ और गुस्सा के मारे मुझे कुछ हिंसक करने का मन किया, लेकिन आज ये देखकर संतोष है कि मेरे परिवार पर जो अत्याचार हुआ, उसने पूरे दलित समाज को अपने पर हो रहे अत्याचार को लेकर एकजुट कर दिया है.
महासम्मेलन में ये तय किया गया है कि 5 अगस्त को पदयात्रा शुरू की जाएगी और 15 अगस्त को उना में दलित स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. इस एलान के बाद गुजरात सरकार की मुश्किलें बढने वालीं हैं, क्योंकि पिछले साल अगस्त से ही अलग-अलग आंदोलन चलता रहा है. पहले पाटीदार आंदोलन फिर ओबीसी आंदोलन और अब अपने अधिकारों को लेकर दलितों को प्रदर्शन.