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धूप, कीचड़ से बीमारी का खतरा

समस्या. शहर में पसरी है गंदगी, जलजमाव ने बढ़ायी लोगों की मुश्किल धूप िखलने से एक तरफ लोगों को राहत तो िमली है, लेिकन जलजमाव व कीचड़ के कारण बीमारी का भय है. पूर्णिया : पिछले दो दिनों से मौसम के मिजाज में बदलाव आया है. धूप खिलने के बाद बरसात से राहत मिली है […]

समस्या. शहर में पसरी है गंदगी, जलजमाव ने बढ़ायी लोगों की मुश्किल

धूप िखलने से एक तरफ लोगों को राहत तो िमली है, लेिकन जलजमाव व कीचड़ के कारण बीमारी का भय है.
पूर्णिया : पिछले दो दिनों से मौसम के मिजाज में बदलाव आया है. धूप खिलने के बाद बरसात से राहत मिली है और जलजमाव की समस्या भी थोड़ी कम हुई है. लेकिन धूप खिलने के बाद कचरे तथा जलजमाव वाली जगहों से दुर्गंध उठ रहे हैं और लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. अचानक मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है. वहीं रविवार की सुबह हुई बारिश के बाद फिर से एक बार कचरा निस्तारण पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. वहीं साफ-सफाई की व्ययवस्था भी मुकम्मल नहीं नजर आ रही है. ब्लीचिंग और डीडीटी छिड़काव की भी कोई कवायद नहीं दिखायी दे रही है. लिहाजा लोगों को मलेरिया, डायरिया तथा चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का डर सताने लगा है.
करोड़ों होते हैं खर्च, परंतु नहीं होता है लाभ : ऐसा नहीं है कि नगर निगम और मलेरिया विभाग के पास संसाधन नहीं है. बीते वर्ष नगर निगम ने लाखों खर्च कर दो-दो फोगिंग मशीन खरीदा था. वहीं मलेरिया विभाग द्वारा बरसात से पहले शहर के कुछ हिस्सों में छिड़काव का कार्य किया गया था, लेकिन यह केवल खानापूर्ति बन कर रह गया. इस समय जबकि इन मशीनों के कार्यरत रहने की आवश्यकता है, ऐसी कोई कवायद नजर नहीं आ रही है.
यहां है स्थिति गंभीर : शहर के बस स्टैंड, भट्ठा बाजार, विकास बाजार, मधुबनी बाजार, गुलाबबाग मंडी समिति के अलावा शास्त्रीनगर, इमलीपट्टी, सरदार टोला, खुश्कीबाग हाट, रामबाग दलित टोला, सिपाही टोला, सिंघिया बस्ती, गाड़ीवान टोला, बाड़ीहाट, कब्रिस्तान टोला सहित दो दर्जन वैसे वार्डों में जहां नालियों के आउट लुक के अभाव में जलजमाव की स्थिति है, मच्छरों तथा बदबू से मुहल्लेवासी, बाजार हाट करने वाले लोग परेशान हैं.
बढ़ने लगी है परेशानी, विभाग है मौन लोगों को बीमारी की आशंका
नगर निगम क्षेत्र के तकरीबन दो दर्जन से अधिक सघन इलाकों में बरसात का पानी अभी भी जमा है. हालांकि मौसम खुलने के बाद पानी सूखने लगा है. लेकिन घटते हुए पानी के बीच तकरीबन एक पखवारे से फंसे कचरों से निकलते सड़ांध और मच्छरों के प्रकोप से दूसरी परेशानी बढ़ने लगी है. वहीं इससे बचाव के लिए मलेरिया विभाग तथा नगर निगम द्वारा अब तक कोई तैयारी नहीं किये जाने से मच्छरों एवं गंदगी से होने वाली बीमारी का भय लोगों को सताने लगा है.
…तो बरसात से पहले क्यों नहीं बनायी जाती है योजना
इन विभागों के कार्यप्रणाली की स्थिति तो यह है कि यहां बरसात से पहले और बरसात के बाद आने वाली समस्याओं ने निबटने की कोई ठोस योजना नहीं बनायी जाती है. विडंबना तो यह है कि हर वर्ष उत्पन्न होने वाली इस समस्या को लेकर विभाग व विभागीय अधिकारी केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित रह जाते हैं. दरअसल यह समस्या कोई नयी नहीं है. बीते पांच वर्षों में हर वर्ष लोग बरसात के महीने में फजीहत झेलते रहते हैं. देखना दिलचस्प होगा कि इस बरसात और आगे क्या स्थिति रहती है.

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