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पैसे जुटाने के लिए हावर्ड का मॉडल अपनायेगा IIT खड़गपुर

खड़गपुर : केंद्र सरकार की ओर से बजट में की गई कटौती का सामना कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खडगपुर ने धनराशि जुटाने का एक नया तरीका खोज लिया है. इसका नाम ‘पढो..कमाओ…धन लौटाओ” योजना है. इसके तहत छात्र यदि यह संकल्प लें कि वे नौकरी मिलने के बाद धनराशि दान करेंगे तो उनकी […]

खड़गपुर : केंद्र सरकार की ओर से बजट में की गई कटौती का सामना कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खडगपुर ने धनराशि जुटाने का एक नया तरीका खोज लिया है. इसका नाम ‘पढो..कमाओ…धन लौटाओ” योजना है. इसके तहत छात्र यदि यह संकल्प लें कि वे नौकरी मिलने के बाद धनराशि दान करेंगे तो उनकी फीस माफ कर दी जाएगी.

इस योजना को इस नये शैक्षिक सत्र से शुरू किया गया है. यह योजना छात्रों को बिना किसी बोझ के पढ़ने औन धन अर्जन के लिए करियर बनाने में मदद करेगी और वे बाद में नौकरी से कमायी करके उसे अपने संस्थान को वापस लौटा सकते हैं.आईआईटी खडगपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमने छात्रों से कहा है कि वे नौकरी मिलने के बाद कम से कम 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष दें. यदि हमारे 30 हजार भूतपूर्व छात्र भी न्यूनतम राशि दें तो हम प्रतिवर्ष 30 करोड़ रुपये जुटा लेंगे.
यदि भूतपूर्व छात्र योगदान देना शुरू कर दें तो हम एक नया मॉडल बनाने में सफल होंगे. यहां तक कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय को भी अपने बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा अपने भूतपूर्व छात्रों से मिलता है.” उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा बहुत महंगी है और सरकार को प्रति छात्र पर प्रति वर्ष छह लाख रुपये खर्च करने पडते हैं. हाल में सरकार ने स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए वार्षिक फीस वर्तमान के 90 हजार रुपये से बढाकर दो लाख रुपये कर दी है जो आगामी शैक्षिक सत्र से लागू होगा. यह करीब 122 प्रतिशत की बढोतरी है.
वारेन बफे के संभावित उत्तराधिकारी अजित जैन को किया सम्मानित
गूगल स्कॉलर के सह संस्थापक अनुराग आचार्य तथा बर्कशायर हैथवे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वारेन बफे के संभावित उत्तराधिकारी अजित जैन को आईआईटी खड़गपुर ने आज विशिष्ट पेशेवर उपलब्धियों के लिए आज विशेष पूर्व छात्र सम्मान से सम्मानित किया. इस प्रतिष्ठित संस्थान के 62वें दीक्षांत समारोह में सात पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया, जिनमें जैन और आचार्य भी हैं. हालांकि, जैन और आचार्य दोनों ही समारोह में मौजूद नहीं थे और उनकी अनुपस्थिति में उन्हें यह सम्मान दिया गया. जैन ने 1972 में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक पूरा किया था.
वह इस समय अमेरिका में बर्कशायर हैथवे इंश्योरेंस समूह में पुनर्बीमा इकाई के प्रमुख हैं. उन्हें बफे का उत्तराधिकारी माना जाता है. आचार्य ने संस्थान में 1987 बैच से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग की पढाई पूरी थी. पुरस्कार पाने वालों को स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र दिया गया.मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी के बजटीय आवंटन में पहले ही कटौती कर दी है और संस्थानों से कहा है कि वे अपने लिए धनराशि स्वयं ही जुटायें. नई योजना के तहत आईआईटी खडगपुर श्रेणीबद्ध तरीके से छात्रों के मेरिट और आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर छात्रवृत्ति मुहैया कराएगी। असाधारण शैक्षिक रिकार्ड वाले छात्रों की पूरी फीस माफ की जाएगी.
इसके साथ ही नये प्रवेश लेने वाले छात्रों में से 100 शीर्ष रैंक वालों को यह सुविधा इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा. चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने यह अभियान सकारात्मक प्रतिक्रिया देने वाले भूतपूर्व छात्रों के साथ पहले ही शुरु कर दिया गया है.

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