शेखपुरा : जिला पर्षद का खाली खजाना भरने को भले ही जिप सदस्यों ने बैठक में पहला मुद्दा बनाया हो, लेकिन उसे मूर्त रूप देने में प्रशासनिक महकमा गंभीरता नहीं दिखा रही है. जिप के कुछ सदस्यों ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण तो बताया ही साथ ही उसे जनहित में भी गलत परंपरा की दुहाई दी है. सदस्यों की मानें तो नवनिर्वाचित जिप कमेटी की पहली बैठक 13 जुलाई को आयोजित की गयी है.
इस बैठक में जिप पर्षद के खाली खजाने को आंतरिक संसाधनों से भरने को लेकर गहन मंथन किये गये. इसको लेकर जिले के बरबीघा बाजार,सिरारी चौक व रेलवे स्टेशन पर जिप की दुकानों से आने वाले किराये को लेकर चर्चा हुई. इस दौरान यह मामला भी सामने आया कि यहां जिप की दुकानों से पिछले 19-20 सालों से किराया भुगतान नहीं किया गया है. इसके साथ ही जिप की विभिन्न बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा और अतिमक्रमण को हटाने की दिशा में कार्रवाई का अहम निर्णय लिया गया. सदस्यों ने आपत्ति जतायी है कि बैठक के चौदह दिन बाद भी जब प्रोसीडिंग ही तैयार नहीं किया जा सका.
तब उस पर हमल करना तो दिल्ली दूर प्रतीत होता है. नाम नहीं छापने की शर्त पर सदस्यों ने तो यह भी कहा कि जिप के आंतरिक आय की हालत के लिए जिम्मेवार संबंधित अधिकारी रहे हैं. क्येांकि इस मामले को पहले की जिप कमेटी ने भी उठाया था, लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं किया जा सका. सदस्यों ने साफ कहा कि लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इधर डीडीसी निरंजन कुमार झा ने कहा कि सहायक का अवकाश पर रहने से प्रोसीडिंग तैयार नहीं हो सका. किरायेदारों को इसी माह नोटिस जारी की जायेगी.