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शहरी क्षेत्र के कई इलाके में बाढ़

िजले में एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ बािरश कहर बरपा रही है. अब तक िजले में 40 हजार एकड़ में लगी फसल प्रभावित हुई है वहीं हजारों लोग िवस्थािपत हुए हैं. पूर्णिया : मंगलवार की सुबह हुई जोरदार बारिश के बाद शहर के कई नीचले इलाके में पानी फैल चुका है और इन इलाकों […]

िजले में एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ बािरश कहर बरपा रही है. अब तक िजले में 40 हजार एकड़ में लगी फसल प्रभावित हुई है वहीं हजारों लोग िवस्थािपत हुए हैं.
पूर्णिया : मंगलवार की सुबह हुई जोरदार बारिश के बाद शहर के कई नीचले इलाके में पानी फैल चुका है और इन इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. वहीं कई ऐसे इलाके हैं, जहां सौरा नदी के उफनाने के बाद रविवार से ही पानी ने प्रवेश करना शुरू किया और सोमवार को ऐसे सैकड़ों परिवार को सुरक्षित स्थान की तलाश में अपना घर छोड़ना पड़ा.
ऐसे लोगों ने या तो अपने रिश्तेदारों के घर में शरण ले रखा है या फिर सरकारी विद्यालय को अपना आशियाना बनाया है. इनमें वार्ड संख्या 41 और 42 के 200 से अधिक परिवार शामिल हैं.
खास बात यह है कि अब तक ऐसे प्रभावित परिवार किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से महरूम हैं. सोमवार को महापौर विभा कुमारी और उप महापौर संतोष कुमार यादव ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया.
मिली जानकारी के अनुसार सौरा नदी के तेवर तल्ख हो चुके हैं, जिसका नतीजा यह है कि नदी के किनारे बसे मुहल्ले के लोग अब घर छोड़ने के लिए विवश हैं. वार्ड संख्या 41 के बजरंगी टोला और शिवनगर में नदी का पानी प्रवेश कर चुका है. जबकि वार्ड संख्या 42 के कप्तानपाड़ा और नया टोला में भी स्थिति भयावह हो चुकी है. सौरा नदी के किनारे स्थित व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी पानी प्रवेश कर चुका है.
वार्ड नंबर 41 के लगभग 80 परिवार ने सोमवार से ही मध्य विद्यालय खुश्कीबाग में शरण ले रखा है. महावीर टोला की गीता देवी, रेखा राय, सुनीता देवी, मुन्ना हेंब्रम, रेखा हेंब्रम, मीरा देवी, मोनिका देवी आदि ने बताया कि घर में चार फीट पानी घुस चुका है, लिहाजा घर छोड़ना उनकी विवशता हो गयी है. मध्य विद्यालय में विस्थापितों की शरण लेने की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन लोगों में स्थानीय प्रशासन के के प्रति नाराजगी भी नजर आयी. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया कि अब तक उनकी सुधि नहीं ली गयी है.
घर से जो कुछ बचा कर ले आये हैं, उसी के बल पर दो वक्त की रोटी बन पा रही है, लेकिन अब आगे कैसे क्या होगा, कह पाना कठिन है. स्थानीय लोगों के अनुसार हर रोज सौरा नदी विकराल होती जा रही है और यही स्थिति रही तो प्रभावितों की संख्या काफी बढ़ सकती है. ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि वर्ष 1987 जैसे हालात का एक बार फिर शहरवासियों को सामना करना पड़ सकता है.

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