अहमदाबाद : गुजरात में विगत 11 जुलाई को गो हत्या के मामले में कुछ दलित युवकों की पिटाई की जांच कर रही गुजरात सीआईडी (अपराध) ने गौ रक्षक दल के दावों पर सवाल उठाया है. सीआईडी ने जांच के दौरान पाया कि गाय को किसी शेर ने मारा था ना कि दलित युवकों ने. सीआईडी ने यह भी कहा कि गौ रक्षक दल का दावा सही नहीं है. सीआईडी को जांच के दौरान एक प्रत्यक्षदर्शी के बयान के बाद यह पता चला की गाय को शेर ने मारा था.लेकिन जांचकर्ताओं को अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि गौ रक्षक को इस बात की सूचना किसने दी कि गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के मोटा समढियाणा गांव के बाहर वश्राम सर्विया गाय को मारकर उसकी चमड़ी निकाल रहा है.
मंगलवार को सभी दलित युवकों को सिविल अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. उनकी हालत में सुधार होने के बाद उन्हें छुट्टी दी गई. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के मोटा समाधियाला गांव के रहने वाले चारों युवकों- अशोक सर्विया, वश्राम सर्विया, बेचर सर्विया और रमेश सर्विया को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. सिविल अस्पताल के प्रबंधक डी वत्सराज ने बताया, ‘उन्हें छुट्टी दे दी गई क्योंकि उनकी हालत में सुधार हो गई थी.’
वश्राम सर्विया के पिता बलु सर्विया ने कहा कि बेदिया गांव के नाजाभाई अहीर ने 11 जुलाई को सुबह करीब 8 बजे उन्हें फोन किया था कि उसकी गाय को शेर ने मार डाला है. वह किसी को भेजकर उसे उिस्पोज करवाले की व्यवस्था करे. बेदिया गांव बल्लु के गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है. बल्लु ने कहा कि उसने इस काम के लिए वश्राम सर्विया और उसके तीन भाईयों को साथ भेजा. वे वहां गाय की चमड़ी निकालने लगे. इस बीच एक सफेद रंग की कार वहां से गुजरी. कुछ मिनटों बाद ही 30 से 35 लोग मोटरसाइकल और एक दूसरी गाड़ी पर सवार होकर आये. उन लोगों नें हाथों में डंडे पकड़ रखे थे. उन्होंने वश्राम से पूछा कि गाय को क्यों मारा, लेकिन जवाब देने से पहले ही वे उसे मारने पीटने लगे.
गौरतलब है कि 11 जुलाई को वश्राम सर्विया सहित तीन और दलितों को गौरक्षक दल के कुछ सदस्य पकड़कर उना बस स्टैंड लाये थे और वहां एक गाडी जिस पर शिवसेना का नाम पट्ट लगा था के साथ बांध कर अर्धनग्न कर पिटायी की थी. चारों को बाद में स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाकर छोड़ दिया गया था. मोबाइल फोन के कैमरे से बनाया गया इस घटना का वीडियो मंगलवार को वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आ गई थी और पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है. गौरक्षकों का आरोप था कि चारो गौमांस की तस्करी कर रहे थे हालांकि उनका कहना था कि वह मृत पशुओं के का चमडा निकालने का पारंपरिक काम करने वाली चमार जाति के हैं और वह गौमांस की तस्करी नहीं कर रहे थे.