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15 केंद्रीय कृषि संस्थानों के निर्माण में जमीन का पेच
समस्या. केंद्र सरकार को संस्थानों के लिए एक हजार एकड़ से अधिक जमीन चाहिए राज्य में केंद्रीय स्तर के संस्थानों की संख्या अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी कम है. इस कारण स्थानीय स्तर पर कृषि में हो रहे परिवर्तन व नये शोध का लाभ राज्य को अन्य राज्यों की अपेक्षा कममिलता है. पटना : केंद्र […]
समस्या. केंद्र सरकार को संस्थानों के लिए एक हजार एकड़ से अधिक जमीन चाहिए
राज्य में केंद्रीय स्तर के संस्थानों की संख्या अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी कम है. इस कारण स्थानीय स्तर पर कृषि में हो रहे परिवर्तन व नये शोध का लाभ राज्य को अन्य राज्यों की अपेक्षा कममिलता है.
पटना : केंद्र सरकार को बिहार में जमीन नहीं मिलने के कारण कम से कम 15 केंद्रीय स्तर के कृषि संस्थानों की स्थापना में पेंच फंसा हुआ है. इससे पूर्व से कृषि शोध की संस्थानों की कमी झेल रहे बिहार की परेशानी बढ़ गयी है. राज्य में केंद्रीय स्तर के संस्थानों की अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी कम संख्या है. इसके कारण स्थानीय स्तर पर कृषि में हो रहे परिवर्तन और नये शोध का लाभ राज्य को अन्य राज्यों की अपेक्षा कम मिलता है. ऐसे केंद्रीय संस्थानों की स्थापना के लिए केंद्र सरकार हमेशा राज्य सरकार को निशाने पर लेती है.
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में केंद्र सरकार को जमीन की मांग को पूरा करने के लिए कम से कम एक हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी. इतनी जमीन आसानी से मिलने वाला नहीं है.
इस वजह से ही ऐसे संस्थानों की स्थापना का मामला लंबित है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार केंद्रीय संस्थानों के लिए अधिकांश जमीन शहर या शहर के आसपास मांग कर रही है. शहर के आसपास इतनी जमीन मिलना आसान नहीं होगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जब तक राज्य सरकार केंद्रीय कृषि संस्थानों के लिए जमीन नहीं देगी तो कैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान राज्य में स्थापित होगा. उन्होंने कहा कि जमीन के लिए राज्य सरकार को कई बार कहा गया है. इसके बावजूद जमीन नहीं मिली है. उन्हाेंने कहा कि कई संस्थान की स्थापना की चर्चा केंद्र सरकार के पैकेज में भी किया गया था, लेकिन राज्य सरकार इसमें सहयोग नहीं कर रही है.
इधर, राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय स्थानों के लिए जमीन चिह्नित कर रही है. जमीन जैसे ही उपलब्ध होगी केंद्र सरकार को उपलब्ध करा दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि राज्य में जमीन की परेशानी है. इसके बावजूद राज्य सरकार ऐसे संस्थानों के लिए जमीन देने की प्रयास कर रही है.
रामविचार राय, मंत्री कृषि विभाग, बिहार सरकार
बिहार को लाभ होने वाले संस्थानों को सरकार जल्द जमीन उपलब्ध करायेगी. विभाग के स्तर पर इसकी समीक्षा करायेंगे और सभी बिंदुओं पर विचार करेंगे.
बिहार में कृषि अनुसंधान के लिए यहां चाहिए जमीन
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर की शाखा की स्थापना के लिए सहरसा जिले के मेहषी में 25 एकड़ जमीन, केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान के लिए जमुई में 50 एकड़, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान करनाल की क्षेत्रीय शाखा के लिए 200 एकड़, स्थानीय स्तर की मछली की शोध के लिए मत्सयिकी संस्थान कोलकाता की शाखा के लिए 100 एकड़, मीठा जल जीव पालन संस्थान भुवनेश्वर की शाखा के लिए 100 एकड़, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान मुंबई द्वारा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए 50 एकड़, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी की बीज उत्पादन केंद्र के लिए 50 एकड़, केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान, भोपाल की शाखा के लिए पटना में 50 एकड़, राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा बिहार में आधार बीज उत्पादन केंद्र के लिए 50 एकड़ जमीन गया, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पू चंपारण, प चंपारण और समस्तीपुर में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिए 20-20 एकड़ और कृषि यांत्रिकरण और टेस्टींग लैब के लिए पटना में 50 एकड़ जमीन की मांग की गयी.
मधुबनी में वेटनरी और फिशरीज कॉलेज के लिए 75-75 एकड़, मोतिहारी में बागवानी और मगध और सारण में कृषि कॉलेज के लिए 50-50 एकड़, राज्य के 11 जिलों में मछली की थोक बिक्री केंद्र के लिए जमीन या भवन की भी मांग की गयी है.
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