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नियम बना, पर उससे हमें क्या
लापरवाही की हद. ट्रैफिक पुलिस के नियम को नजरअंदाज कर रहे स्कूल पटना : स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स स्कूल बस में बैठेंगे. स्कूल बस का गेट वहीं खुलेगा, जहां स्टूडेंट्स के उतरने का स्टॉपेज होगा. बस में ड्राइवर के साथ एक कंडक्टर होगा, दो टीचर होंगे, जो बस के लास्ट स्टॉपेज तक जायेगा, स्कूल से […]
लापरवाही की हद. ट्रैफिक पुलिस के नियम को नजरअंदाज कर रहे स्कूल
पटना : स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स स्कूल बस में बैठेंगे. स्कूल बस का गेट वहीं खुलेगा, जहां स्टूडेंट्स के उतरने का स्टॉपेज होगा. बस में ड्राइवर के साथ एक कंडक्टर होगा, दो टीचर होंगे, जो बस के लास्ट स्टॉपेज तक जायेगा, स्कूल से घर तक स्टूडेंट्स के पहुंचने तक की पूरी जिम्मेवारी संबंधित स्कूलों की होगी. स्कूली स्टूडेंट्स की सुरक्षा को लेकर पटना ट्रैफिक पुलिस ने ये सारे नियम बनाये थे. इन नियमों की लिस्ट स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर ट्रैफिक पुलिस ने 12 अप्रैल, 2011 को चिपकाया भी था. लेकिन, छह साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस-की-तस है.
फटकार भी लगायी : आॅटो पर तीन की जगह छह बच्चे बैठे होते हैं. तीन बच्चे पीछे और तीन ड्राइवर की बगल में. हालांकि कई बार ट्रैफिक पुलिस ने कार्रवाई भी करनी चाही. बच्चों को ऑटो से उतरवाया और ऑटो ड्राइवर को डांट फटकार भी लगायी. लेकिन, कोई सुधार नहीं हुआ.
बस हमारी नहीं कह पल्ला झाड़ लेते स्कूल
ट्रैफिक पुलिस ने पटना के 50 स्कूलों को नोटिस दिया था. नोटिस में स्पष्ट कहा गया था कि जिस भी स्कूल के बच्चे जिस बस, वैन और ऑटो से आते-जाते हैं, उनकी पूरी सुरक्षा की जिम्मेवारी स्कूल को लेनी है. 2011 में नये सेशन के शुरू होने के साथ इसे लागू भी किया, लेकिन स्कूल वालों ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि स्कूल बस उनकी नहीं है. इसके लिए अभिभावक जिम्मेवार हैं. स्कूल अपनी तरफ से कोई कंवीनियेंस स्टूडेंट्स को प्रोवाइड नहीं करवाता है. इसके साथ कई स्कूलों ने नोटिस बोर्ड से ट्रैफिक पुलिस का नोटिस भी हटा दिया था.
ड्राइवर के भरोसे स्कूली वाहनों पर रहते बच्चे
स्कूली बस में ट्रैफिक के नियम का पूरा उल्लंघन होता है. एक ड्राइवर के भरोसे बस में स्टूडेंट्स होते हैं. अधिकतर स्कूली बसों में टीचर नहीं होते हैं, घंटे-दो घंटे तक बच्चे एक ड्राइवर के भरोसे ही आते-जाते हैं. ऐसे में बच्चों की सुरक्षा ताक पर रखी जाती है. कई स्कूली बस में न तो टीचर नजर आते हैं और न ही कंडक्टर, ड्राइवर के भरोसे स्टूडेंट्स स्कूल आते-जाते हैं.
ट्रैफिक पुलिस नहीं देते ध्यान
ट्रैफिक पुलिस के अलावा एसोसिएशन की ओर से कई बार स्कूलों को यह व्यवस्था सुधार करने के लिए कहा गया है, लेकिन स्कूल वाले इस पर ध्यान नहीं देते हैं. सड़क पर जिस तरह से बच्चे नजर आते हैं, उससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है.
डीके सिंह, अध्यक्ष, बिहार राज्य चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
कहते है ट्रैफिक एसपी
मुझे 2011 में स्कूली बसों के लिए दिये गये निर्देश के बारे में जानकारी नहीं है. हालांकि स्कूली बसों को सड़क पर चलाने के लिए यातायात नियम के तहत जांच होती हैं. उस पत्र को हम देखेंगे और उसमें क्या निर्देश हैं. उसके मुताबिक कार्रवाई भी करेंगे. दोषी स्कूलों पर कार्रवाई होगी.
पीके दास, एसपी, यातायात
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