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ड्रेसर को करना पड़ा मरीजों का इलाज
विडंबना. दो घंटे तक बिना डॉक्टर के रहा इमरजेंसी वार्ड, कई मरीजों ने कराया प्राइवेट में इलाज सीवान : सुबह करीब आठ बजे से लेकर 10 बजे तक सदर अस्पताल के इमरजेंसी में किसी डॉक्टर के नहीं रहने से मरीजों को काफी परेशानी हुई. ड्यूटी पर तैनात ड्रेसर रामाशंकर प्रसाद कभी अस्पताल प्रबंधक, तो कभी […]
विडंबना. दो घंटे तक बिना डॉक्टर के रहा इमरजेंसी वार्ड, कई मरीजों ने कराया प्राइवेट में इलाज
सीवान : सुबह करीब आठ बजे से लेकर 10 बजे तक सदर अस्पताल के इमरजेंसी में किसी डॉक्टर के नहीं रहने से मरीजों को काफी परेशानी हुई. ड्यूटी पर तैनात ड्रेसर रामाशंकर प्रसाद कभी अस्पताल प्रबंधक, तो कभी उपाधीक्षक को फोन कर सूचना देने में लगा था. उपाधीक्षक का फोन लग नहीं रहा था. वहीं, अस्पताल प्रबंधक फोन नहीं उठा रहे थे. मरीजों को आक्रोशित देख कर ड्रेसर ने ही कमान संभाली ओर मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया. लेकिन इस दौरान दो-तीन गंभीर स्थिति वाले मरीजों का वह इलाज नहीं कर सका, तो परिजन अपने मरीज को लेकर प्राइवेट में चले गये. सुबह आठ बजे तक जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, वे आठ बजे अपनी सीट से उठ कर चले गये थे. उनके जाने के बाद मरीजों का आना शुरू हो गया.
करीब दो घंटे तक इलाज के लिए भटकते रहे मरीज : जीरादेई थाने के अरकपुर गांव से एक व्यक्ति कई दिनों से बीमार बच्चे की हालत गंभीर होने पर दिखाने के लिए सदर अस्पताल लाया.
बेड पर सुलाने के बाद जब पांच मिनट तक किसी ने नहीं देखा, तो परिजन उसे उठा कर दिखाने के लिए प्राइेवट में लेकर चले गये. अस्पताल के कर्मचारियों का कहना बच्चे की हालत अत्यंत गंभीर थी. इस कारण उन्होंने बिना डॉक्टर की उपस्थिति में इलाज करना उचित नहीं समझा. मुफस्सिल थाने के मोलनापुर गांव के इद्रीश मियां को दिखाने के लिए उसके लड़के इमर्जेंसी में लाये. कर्मचारियों ने उसे देखा और बिना किसी प्रकार के इलाज के उसे नशामुक्ति केंद्र में दिखाने के लिए भेज दिया. उसे रुक-रुक कर झटके आ रहे थे.
रिलीवर के आये बिना जाते हैं डॉक्टर
सदर अस्पताल में यह हमेशा देखने को मिलता है कि इमरजेंसी ड्यूटी वाले डॉक्टर व कर्मचारी अपने रिलीवर के आये बिना ड्यूटी छोड़ कर चले जाते हैं. जब रिलीवर के आने में कुछ मिनट का अंतर होता है, तो काम चल जाता है, लेकिन जब वे घंटे दो घंटे तक नहीं आते हैं, तो स्थिति बिगड़ने लगती है.
इस दौरान कोई गंभीर स्थिति में मरीज आता है तथा डॉक्टर नहीं रहते हैं, तो परिजन अस्पताल के अन्य कर्मचारियों पर अपना गुस्सा निकालते हैं. अस्पताल प्रशासन ने कभी इस सबंध में स्वास्थ्यकर्मियों को कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया है.
क्या कहते हैं सीएस
सुबह में दो घंटे तक इमरजेंसी में नहीं आनेवाले डॉक्टर का एक दिन का वेतन काटा गया है. सभी डॉक्टरों को पहले से ही निर्देश दिया गया है कि रिलीवर के आने के पहले अपने ड्यूटी को छोड़ कर नहीं जाएं.डॉ शिवचंद्र झा
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