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शौचालय व बाथरूम का भी लगता है पैसा

आइजीआइएमएस की गजब कहानी इंट्री गेट पर घुसते ही पार्किंग कर्मचारी रोक लेते हैं वाहन, मरीजों व परिजनों से होता है विवाद पटना : आपने किसी भी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में यह नहीं सुना होगा कि मरीजों को शौचालय और बाथरूम के इस्तेमाल करने पर रुपये देने पड़ते हैं. लेकिन, राजधानी के इंदिरा गांधी […]

आइजीआइएमएस की गजब कहानी
इंट्री गेट पर घुसते ही पार्किंग कर्मचारी रोक लेते हैं वाहन, मरीजों व परिजनों से होता है विवाद
पटना : आपने किसी भी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में यह नहीं सुना होगा कि मरीजों को शौचालय और बाथरूम के इस्तेमाल करने पर रुपये देने पड़ते हैं. लेकिन, राजधानी के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान एक ऐसा अस्पताल है, जहां मरीजों से शौचालय और बाथरूम के यूज पर शुल्क देने पड़ रहे हैं. यह स्थिति वहां की है, जहां के डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक सरकार से मोटी रकम पेमेंट के तौर पर उठाते हैं. ऐसे में मरीजों का संस्थान पर से भरोसा उठता जा रहा है और सरकार के द्वारा दी जा रही इलाज व्यवस्था की पोल खुल रही है.
आइजीआइएमएस में अगर कोई मरीज वाहन से अंदर जा रहा है, तो उसको मेन गेट पर ही पार्किंग के कर्मचारी रोक देते हैं. चाहे मरीज की स्थिति जितना भी सीरियस हो, उसको बिना पार्किंग शुल्क दिये अंदर जाना मना कर दिया गया है. मजे की बात तो यह है कि अब भरती मरीज के रिश्तेदार दो पहिया वाहन अंदर ले जाने में कतराने लगे हैं और अधिकतर वाहन अस्पताल की पार्किंग के बदले बेली रोड पुल के नीचे खड़े किये जाने लगे हैं. मरीज के परिजनों ने इसकी कई बार शिकायत की, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ.
पांच से लेकर 20 रुपये तक होते हैं खर्च
आइजीआइएमएस में पार्किंग, शौचालय, टेंट का बना ठहराव केंद्र आदि सभी सुविधाओं के लिए अस्पताल प्रशासन ने ठेका दे दिया है. मरीजों को वर्तमान समय में शौचालय के लिए पांच, बाथरूम के लिए 10, दो पहिया के लिए 10 और चार पहिया के लिए 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी मरीजों को रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
गंदगी का अंबार
इलाज, जांच के बाद मरीजों से मूलभूत सुविधाओं के लिए भी रुपये लेने वाला आइजीआइएमएस में सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. यहां मरीजों को गंदगी के बीच इलाज कराना पड़ रहा है. प्राइवेट वार्ड में भरती मरीजों जैसे ही अपना खिड़की खोलते हैं, उनको खाली जगह में गंदगी के अंबार का नजारा देखने को मिलता है. अस्पताल के कई ऐसे वार्ड हैं, जहां जांच मशीनें खराब पड़ी हुई हैं.
जिम्मेवार बोले
पार्किंग और शौचालय में शुल्क के बदले मरीजों को बेहतर सुविधा दी जाती है. शौचालय और बाथरूम दोनों चकाचक रहते हैं. पार्किंग शुल्क लेने के मामले को देखते हैं कि कहां-क्या परेशानी हो रही है.
– डॉ एनआर विश्वास, डायरेक्टर आइजीआइएमएस

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