लखनऊ :उत्तरप्रदेश में अपनी सियासी जमीन तलाशनेकेलिये जदयू ने भी प्रयासशुरू करदियेहैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार यूपी मेंदो-तीनरैलियां कर चुके हैं.इसी कड़ी में एक बार फिर बसपा के हालिया बागी हुए नेता आर के चौधरी के बहाने यूपी में जदयू के तीर को निशाने पर लगाने की फिराक में हैं. मंगलवार को नीतीश कुमार बसपा के बागी नेता आर के चौधरी की ओर से आयोजित रैली में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे. आर के चौधरी इस रैली को अपने शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहे हैं. वहीं जदयू इस रैली के माध्यम से लोगों के बीच पैठ बनाने का सुनहरा मौका मान रही है.
नीतीश कुमार ने पहले भी की है रैली
इससे पहले भी नीतीश कुमार ने बनारस, नोयडा और इलाहाबाद में रैली कर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. कुछ नहीं तो उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर जदयू ने अपनी जमीन तलाशने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है. आर के चौधरी बसपा के हालिया बागी नेता हैं. उन्हें पता है कि नीतीश कुमार बीजेपी और बाकी पार्टियों से अलग-थलग हैं. उन्हें लगता है कि नीतीश कुमार का साथ उन्हें लाभ ही पहुंचायेगा, नहीं पहुंचा पाया तो हानि भी नहीं पहुंचायेगा.
पासी किले में आयोजित है रैली
चौधरी ने आज संवाददाताओं को बताया कि नीतीश कुमार कल राजधानी के बिजली पासी किले पर होने वाली बीएस-4 :बहुजन समाज स्वाभिमान संघर्ष समिति की रैली में मुख्य अतिथि होंगे. बसपा संस्थापक कांशीराम के खास लोगों में रहे चौधरी ने 30 जून को पार्टी मुखिया मायावती पर टिकटों की नीलामी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी. आर के चौधरी अपनी जाति के कद्दावर नेता माने जाते हैं. पार्टी छोड़ने के बाद आर के चौधरी पर कई दलों की निगाहें थीं लेकिन चौधरी ने अपने लिये अलग रास्ता चुनना ही बेहतर समझा.
बसपा रियल स्टेट कंपनी बन गयी है-चौधरी
आरके चौधरी ने यह भी कहा कि मायावती पार्टी संस्थापक कांशीराम के दिखाये रास्ते से हट गयीं हैं और बसपा का ‘रियल स्टेट कंपनी’ बना डाला है. अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कल चौधरी की रैली में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष नीतीश की मौजूदगी से प्रदेश में नये राजनीतिक समीकरण के उभरने के संकेत मिलते है, जो शराब बंदी अभियान के जरिए उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे है और कई जनसभाएं कर चुके है.
बगावत का बिगुल नीतीश के साथ बजाएंगे
आर के चौधरी मायावती के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं. उन्हें यह पता है कि मायावती पार्टी के अंदरखाने चल रहे विरोध के स्वरों को दबा नहीं पा रही हैं. पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक ठाक नहीं है, यह बसपा को भी पता है. शायदइसीलिएआर के चौधरी कहते हैं कि बसपा में किसी भी समय एक बडी बगावत हो सकती है. पार्टी के लोग किसी मजबूत विकल्प की तलाश में हैं. यदि ऐसा हुआ तो इसका लाभ नीतीश कुमार को भी मिलेगा. बागियो के सहारे ही सही यूपी में तीर निशाने पर लग जायेगा.