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प्रकाश जावडेकर ने संसद में कहा, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,983 शिक्षण पद खाली

नयी दिल्ली: देश के विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत शिक्षण पदों में से जून 2016 तक 5983 शिक्षण पद रिक्त हैं. लोकसभा में मनोज राजोरिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में कुल स्वीकृत शिक्षण पदों की संख्या 454 हैं […]

नयी दिल्ली: देश के विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत शिक्षण पदों में से जून 2016 तक 5983 शिक्षण पद रिक्त हैं. लोकसभा में मनोज राजोरिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में कुल स्वीकृत शिक्षण पदों की संख्या 454 हैं जिसमें से 29 फरवरी तक 175 पद रिक्त थे. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यक्षेत्र में आने वाले विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालय में 16823 स्वीकृत शिक्षण पद हैं. इनमें 2386 प्रोफेसर, 4747 पद एसोसिएट प्रोफेसर और 9698 पद एसोसिएट प्रोफेसर के हैं. 30 जून 2016 की स्थिति के अनुसार इनमें से 5983 शिक्षण पद रिक्त हैं जिसमें 1284 प्रोफेसर, 2185 एसोसिएट प्रोफेसर और 2514 सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त हैं.

जावडेकर ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्तियों का होना और भरा जाना निरंतर और सतत चलने वाली प्रक्रिया है. शिक्षण पदों को भरे जाने का दायित्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों का है जो संसद के अधिनियम के तहत सृजित स्वायत्त निकाय हैं. उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार केंद्रीय विश्वविद्यालयों को पत्र लिखे हैं और इस संबंध में उनके साथ निरंतर निगरानी भी करते हैं.
जावडेकर ने कहा कि शिक्षकों के पदों को भरने के संबंध में देश के राष्ट्रपति की अध्यक्षता में 4-5 फरवरी 2015 को आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक और 4-6 नवंबर 2015 को आयोजित विजिटर सम्मेलन में चर्चा की गई थी. उन्होंने कहा कि कुलपतियों और विजिटर सम्मेलन में कुलपतियों ने समयबद्ध तरीके से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने पर बल दिया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके अलावा 18 फरवरी 2016 को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक में भी इस पर चर्चा की गई थी. जावडेकर ने कहा कि इस दिशा में पहल करते हुए यह परिकल्पना की गई कि विश्वविद्यालय प्रणाली में सभी संस्वीकृत और अनुमोदित पदों को तत्काल आधार पर भरा जाए.
सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को आध्यापक चयन समितियों के लिए विजिटर पांच नामित उपलब्ध कराये ताकि भर्ती की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में अध्यापकों की सेवा निवृति आयु को पहले ही बढाकर 65 वर्ष कर दिया गया है. इसके अलावा ऑपरेशन फैकल्टी रिचार्ज नामक योजना भी शुरू की गई है. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कालेजों में सहायक संकाय को पैनलबद्ध करने के लिए दिशानिर्देश भी तैयार किये हैं.

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