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नजर से देखा, कागज पर उकेरा
कुमार आशीष सहरसा : वैसे तो हमारे देश में एक से बढ़ कर एक कलाकार हैं, मगर अपने क्षेत्र के कलाकार को दुनिया में प्रसिद्ध होता देख सुकून तो मिलता ही है. जिले के डूमरेल मुहल्ला के रहनेवाले सिंकु आनंद भी ऐसे ही कलाकार हैं. अपनी अद्भुत कला के दम पर वे कला जगत में […]
कुमार आशीष
सहरसा : वैसे तो हमारे देश में एक से बढ़ कर एक कलाकार हैं, मगर अपने क्षेत्र के कलाकार को दुनिया में प्रसिद्ध होता देख सुकून तो मिलता ही है. जिले के डूमरेल मुहल्ला के रहनेवाले सिंकु आनंद भी ऐसे ही कलाकार हैं. अपनी अद्भुत कला के दम पर वे कला जगत में धीरे-धीरे मगर मजबूत कदमों से बढ़ रहे हैं. उनके फेसबुक अकाउंट पर हजारों मित्र व चार सौ फॉलोवर हैं. इतना ही नहीं उनके प्रशंसकों में स्थानीय कलाकारों समेत अन्य प्रदेशों के कई दिग्गज भी शामिल हैं. आनंद पेंसिल की मदद से कागज पर पहले किसी जीव या वस्तु के अक्स उकेरते हैं और उसमें कुछ इस तरह रंग भरते हैं कि वे सारी चीजें जीवंत लगने लगती हैं. इसमें वे खाने-पीने की चीजों समेत क्रिकेट व फुटबॉल के दिग्गजों तक को उकेरने का काम करते हैं.
पार्क में फ्री ट्रेनिंग कैंप : आनंद द्वारा संचालित जमुना देवी कला महाविद्यालय में सूबे के 11 हजार छात्र-छात्राएं पेंटिंग के विभिन्न आयामों से रु-ब-रु हो प्रशिक्षित हो चुके हैं. प्रशिक्षण की खास बात यह रही कि संस्था के दर्जनों छात्र निफ्ट में चयनित हुए. फिलवक्त अपनी प्रोफेशनल वर्कआउट के बाद आनंद प्रत्येक रविवार को शहर के संजय पार्क में फ्री ट्रेनिंग कैंप लगाते हैं, जहां स्थानीय दर्जनों बच्चों को पेंटिंग की बारीकियों से अवगत कराते हैं.
थ्री डी इमेज बनाने में पारंगत : वे कागज पर पेंसिल कुछ ऐसे चलाते हैं कि सारी चीजें देखने में ऐसी लगती हैं जैसे आप उन्हें साक्षात देख रहे हों. पेंसिल से स्केच तैयार करने के बाद वे उनमें रंग भरते हैं. रंग भरे जाने के बाद इस बात का यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये सारी चीजें वास्तविकता के इतर हैं. वे फल, सब्जी और कीचेन में प्रयोग करनेवाली चीजें भी रच लेते हैं.
पहले शौक फिर प्रोफेशनल ट्रेनिंग : आनंद ने इस स्किल में खुद को स्थापित करने और महारत हासिल करने के लिए पहले कोई विशेष ट्रेनिंग भी नहीं ली. वे सहरसा के एमएलटी कॉलेज के छात्र हैं और स्टूडेंट कम्युनिटीके बीच खासे चर्चित भी हैं. शौक को रोजी-रोटी से जोड़ने की जिद ने आनंद को डिग्री हासिल करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद टेक्नो ग्लोबल विश्वविद्यालय से बैचलर आॅफफाइन आर्ट्स व मास्टर आॅफ फाइन आर्ट्स की डिग्री ली.
प्रतियोगिता में मनवाया लोहा : स्थानीय व राज्य सहित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में समीक्षकों ने भी आनंद की कलाकारी का लोहा माना है. संस्कार भारती द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में आनंद लगातार चार बार अपनी बनायी पेटिंग की वजह से अव्वल रहा है. इसके अलावा शिलांग सहित बीएनएमयू के कार्यक्रम में प्रत्येक अवसरों पर लोग आनंद के चित्रकारी का इंतजार करते हैं.
कलाकार की कुची में रंग भरे : कलाकार आनंद अपनी पेटिंग में प्राकृतिक व सहज उपलब्ध होने वाले रंगों को ज्यादा महत्व देता है. आनंद बताते है कि ऑयल, एक्रेलिक, पैंसिल के अलावा कई प्रकार की पेटिंग होती है. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रंग जैसे गोबर, चायपत्ती, तुलसी पत्ता व झींगा से बने रंगों का भी प्रयोग किया जाता है.
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