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जल-जंगल बचाना सबकी जिम्मेवारी

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा है कि जल, जंगल और जमीन जीवन का आधार हैं. जीवन जीने का आधार हमें प्रकृति ने दिया है, उसे बचाये रखना हमारी जवाबदेही है. वे शुक्रवार को कुटे में नये विधानसभा भवन के निर्माणाधीन परिसर में वन महोत्सव के तहत पौधरोपण कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर […]

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा है कि जल, जंगल और जमीन जीवन का आधार हैं. जीवन जीने का आधार हमें प्रकृति ने दिया है, उसे बचाये रखना हमारी जवाबदेही है. वे शुक्रवार को कुटे में नये विधानसभा भवन के निर्माणाधीन परिसर में वन महोत्सव के तहत पौधरोपण कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं. कार्यक्रम में राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्पीकर दिनेश उरांव और विधायकों ने पेड़ लगाये.
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सृष्टि में मानव सबसे गुणी-ज्ञानी प्राणी है. इसके बावजूद हम सभी विकास की ललक में विनाश की ओर बढ़ते जा रहे हैं. स्थिति गंभीर है, ग्लोबल वार्मिंग से शरीर को नुकसान हो रहा है. ऐसे में केवल मुख्यमंत्री या सरकारी दल के सोचने से नहीं होगा. धरती और पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को सोचना होगा. राज्यपाल ने कहा कि पहले गांव के लोग भी बारिश का पूर्वानुमान लगा लेते थे. अब बारिश कब आयेगी, बताना मुश्किल है. विकास होना चाहिए, लेकिन संतुलन बना कर. हम जितने काट रहे हैं, उतना पेड़ लगाये़ं.
यहां के लोग भाग्यशाली
राज्यपाल श्रीमती मुरमू ने कहा कि झारखंड के लोग भाग्यशाली हैं, क्योंकि रत्नगर्भा झारखंड को प्रकृति ने जंगलों, नदियों और झरनों से भी संवारा है. लेकिन, चिंताजनक यह है कि यहां पहाड़ खत्म हो रहे हैं. विशेषज्ञों को सोचना चाहिए कि विकास हो, लेकिन पत्थर बचे रहें. धरती सीमित है और जनसंख्या का विस्फोट हो रहा है. श्रीमती मुरमू ने कहा कि सलाह देना आसान है, लेकिन उसपर अमल करना मुश्किल. ऐसे में हमें उदाहरण बनना चाहिए. स्पीकर दिनेश उरांव ने अतिथियों का स्वागत किया. कहा : हमेशा हमें राज्यपाल का आशीर्वाद मिलता रहा है. विधानसभा निर्माण में लोग अथक काम कर रहे हैं. पूरे परिसर को हरा-भरा रखना है. स्पीकर ने कहा कि विधानसभा के नये भवन के लिए 31 मार्च 2019 की समय सीमा दी गयी थी, लेकिन बताया जा रहा था कि वर्ष 2018 तक काम पूरा हो जायेगा. हमें उम्मीद है कि वर्ष 2019 का बजट सत्र हम नये विधानसभा में आयोजित करेंगे. समारोह में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन सहित पक्ष-विपक्ष के कई विधायक मौजूद थे. समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. राज्य की सबसे बड़ी पंचायत में हम पौधरोपण करने के लिए पहुंचे हैं.

हम आने वाली पीढ़ियों को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. जल-जंगल-जमीन हमारी विरासत हैं. वन, वृक्ष, पहाड़, नदियां हमारी पहचान हैं. सीएम ने पौधरोपण अभियान की प्रशंसा की और कहा कि पौधरोपण अब जन-आंदोलन का रूप ले रहा है. हम अपने पुरखों के नाम से पेड़ लगा सकें, इसके लिए हर जिले में जगह चिह्नित करने की योजना है.
डोभा की सुरक्षा के लिए भी सोचना चाहिए : राज्यपाल
निर्माणाधीन विधानसभा परिसर में पौधरोपण करने पहुंचीं राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने अपने भाषण में डोभा का जिक्र किया. कहा कि सरकार डोभा का निर्माण करा रही है. मैंने भी राजभवन में डोभा बनवाया है. हाल के दिनों में बच्चों के मरने की बात आयी है. डोभा के आसपास सुरक्षा के लिए भी सोचना चाहिए.
हेमंत हुए नाराज, कहा : सरकार को प्रतिपक्ष की जरूरत नहीं
समारोह में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन देर से पहुंचे. हालांकि, वे नाराज थे, लेकिन उन्होंने परिसर में पौधा भी लगाया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार केवल मीडिया में जगह पाने के लिए ऐसे आयोजन कर रही है. इन लोगों को आज पाैधरोपण की याद आ रही है, जबकि झारखंड के लोग शुरू से ही प्रकृति प्रेमी रहे हैं. यह विधानसभा का कार्यक्रम था, लेकिन सरकार का होर्डिंग लगा है और प्रतिपक्ष गायब है. शायद सरकार को प्रतिपक्ष की जरूरत नहीं है. सरकार केवल प्रचार-प्रचार में लगी है. जमीन पर कोई काम नहीं हो रहा है.
विरोध में उतरे विस्थापित, सीएम ने की बात
पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान एचइसी हटिया विस्थापित परिवार ने धरना-प्रदर्शन किया. धरना दे रहे लोगों को पुलिस ने परिसर से दूर सड़क के किनारे धरना देने को कहा. इसके बाद विस्थापित परिवार के सदस्य वहां से हट गये. कुछ देरे पर पुलिस ने धरना-प्रदर्शन कर रहे विस्थापितों को गिरफ्तार कर लिया. विस्थापितों ने इसका विरोध भी किया. इसके बाद करीब 50 से 60 की संख्या में विस्थापित ग्रामीण इलाके से पहुंचे और कार्यक्रम स्थल के पास सरकार विरोधी नारेबाजी की. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री विस्थापितों के पास धरना स्थल पर पहुंचे और उनसे बातचीत की. मुख्यमंत्री ने सोमवार को विस्थापितों के साथ बैठक करने की बात कही. विस्थापित राहुल उरांव ने बताया कि हम विधानसभा निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार से लारा (भूमि अधिग्रहण पुनर्वास पुनर्स्थापन) कानून 2013 के तहत मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

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