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झारखंड में 50 फीसदी शादियां बाल विवाह

बाल विवाह देश की सदियों पुरानी कुरीतियों में से एक है़ हम यह जानते हैं कि बाल विवाह अभिशाप ही नहीं अपराध भी है, फिर भी इससे हम बाहर निकल नहीं पा रहे हैं. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम को माने तो इस अपराध में शामिल होने या इसे कराने वाले के लिए कई तरह की सजा […]

बाल विवाह देश की सदियों पुरानी कुरीतियों में से एक है़ हम यह जानते हैं कि बाल विवाह अभिशाप ही नहीं अपराध भी है, फिर भी इससे हम बाहर निकल नहीं पा रहे हैं. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम को माने तो इस अपराध में शामिल होने या इसे कराने वाले के लिए कई तरह की सजा का प्रावधान है़ फिर कुकृत्य धड़ल्ले से हो रहा है़ आंकड़ों की माने तो जहां हमारा देश चीन और अमेरिका से बराबरी करने का ख्वाब देख रहा वहां एक चौथाई बच्चियां 18 वर्ष से कम उम्र से पहले ही ब्याह दी जाती हैं.

जनगणना 2011 के आंकड़े बताते हैं कि देश में 34 करोड़ महिलाएं शादीशुदा हैं. जिनमें 30. 2 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिनका विवाह 18 साल की उम्र से पहले हो गयी थी़ वहीं 2.3 फीसदी महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनका विवाह 10 वर्ष की उम्र के पहले कर दी गयी़ महिलाओं के इस आंकड़े में तलाकशुदा, विधवा और अलग रहने वाली महिलाएं शामिल हैं. पेश है राहुल गुरु की रिपोर्ट……….
हर धर्म में बाल विवाह
ऐसा नहीं है कि किसी धर्म विशेष में बाल विवाह की बात अधिक होती है़ यह अपराध हर धर्म में हो रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि 31 फीसदी हिंदू महिलाएं ऐसी हैं, जिनका विवाह 18 वर्ष की उम्र के पहले हो गया था़ इस क्रम में 18 वर्ष की उम्र से पहले लड़कियों की शादी मुसलिम में 31 फीसदी, 12 फीसदी इसाई में, 11 फीसदी सिक्ख में, 28 फीसदी बौद्ध में और 16 फीसदी जैन धर्म में है़ देश भर में विभिन्न धर्मों में 10 वर्ष से कम उम्र में विवाह करने की प्रथा अभी भी जारी है़.
इस उम्र में लड़कियों का विवाह करना उनके प्रति अत्याचार से कम नहीं है़ इस तरह के अत्याचार के मामले में बौद्ध धर्म सबसे पहले है़ यहां 3 फीसदी लड़कियों का विवाह 10 वर्ष से कम की उम्र में कर दी जाती है़ इस कड़ी में 2 फीसदी 10 वर्ष या इससे कम की उम्र में होने वाली शादियों में हिंदू, मुसलिम और सिक्ख धर्म आते हैं. एक फीसदी ऐसी शादियां इसाई धर्म में होती हैं.
हालात में हो रहे सुधार
ऐसा नहीं है कि बाल विवाह का चलन एकदम से रूक गया है़ पर जनगणना 2001 और 2011 के आंकड़ों के मुताबिक हालात में सुधार हो रहे हैं. आंकड़ों की माने तो हिंदू धर्म में 2001 में 34 फीसदी शादी 18 वर्ष से कम उम्र में होती थी, जो 2011 में 31 फीसदी हो गयी़ क्रमश: मुसलिम में यह 41 फीसदी थी जो 31 फीसदी हुई़ इसाई में 15 से 12 फीसदी हुई़़ सिक्ख में 16 फीसदी से 11 फीसदी, बौद्ध में 38 फीसदी से 28 फीसदी व जैन धर्म में 23 फीसदी से घट कर 16 फीसदी रह गयी है़
अशिक्षा है बाल विवाह का कारण
विभिन्न विभाग व संस्थाओं के अब तक के शोध बताते हैं कि लड़कियों की जल्द शादी के पीछे का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा है़ आंकड़े बताते हैं कि कुल अशिक्षित लड़कियों में से 38 फीसदी की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले कर दी जाती है़ लेकिन कुल शिक्षित लड़कियों में यह आंकड़ा 23 फीसदी ही होता है़
शिक्षा ने लायी परंपरा में कमी
आंकड़ों और विभिन्न तरह के शोध के मुताबिक जैसे-जैसे लड़कियां शिक्षित हुई हैं, वैसे-वैसे जल्द शादी की परंपरा में कमी भी आयी है़ शिक्षा के स्तर के लिहाज से आकड़ों पर गौर करें तो विवाह की हिस्सेदारी कुछ ऐसी होती है़ इसमें प्राथमिक शिक्षा से कम शिक्षा प्राप्त 35 फीसदी लड़कियों की शादी तय उम्र सीमा से पहले होती है़ इसी तरह माध्यमिक शिक्षा से कम 31 फीसदी, माध्यमिक शिक्षा पर सेकेंडरी से कम 25. 4 फीसदी, मैट्रिक सेकेंडरी लेकिन ग्रेजुएशन से कम 15. 3 फीसदी व ग्रेजुएशन से ज्यादा पढ़ाई की हुई मात्र 5. 2 फीसदी की शादी तय उम्र से पहले होती है़
क्या है राज्य की स्थिति
बाल विवाह के मामले में नेशनल हेल्थ सर्वे की 2010-11 की रिपोर्ट के अनुसार देश में झारखंड तीसरे स्थान पर है़ इससे पहले बिहार और राजस्थान राज्य हैं. आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में पिछले 10 सालों में जितनी शादियां हुईं, उसमें से बाल विवाह का दर 50 फीसदी औसतन प्रतिवर्ष रहा है़ विभिन्न रिपोर्ट की माने तो झारखंड में बाल विवाह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है़
इन जिलों में सर्वाधिक बाल विवाह
– 72.4 फीसदी देवघर में
– 71.2 फीसदी गिरिडीह में
– 65.7 फीसदी हजारीबाग में
बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अनुसार
-बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम – 2006 में बाल विवाह करने और कराने वाले दोनों को दंडित करने का प्रावधान है़
– अधिनियम के प्रावधान के अनुसार 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की के विवाह को बाल विवाह माना गया है़
– अधिनियम की धारा नौ में कहा गया है कि वह पुरुष जिसकी उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक हो, अगर 18 साल से कम उम्र की किसी लड़की से शादी करता है, तो उसे दो वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये तक का दंड सक्षम न्यायालय द्वारा दिया जा सकता है़
– अधिनियम की धारा 10 में शादी करने, कराने और प्रोत्साहित करने वालों का दंडित करने का प्रावधान किया गया है़ सक्षम न्यायालय ऐसे व्यक्तियों को दो वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख तक का दंड दे सकता है़

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