निगम द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 8.85 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया गया. यानी निगम का शुद्ध लाभ महज 16.73 करोड़ रुपये का है. जेएसएमडीसी की नौ खदान दो वर्ष पूर्व तक चालू हालत में थीं. अभी जेएसएमडीसी का केवल सिकनी कोलियरी माइंस चालू है. शेष से उत्पादन पूरी तरह बंद है, जिसके चलते विभिन्न माइंस में काम करनेवाले पांच हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. जेएसएमडीसी का ही रांची के तुपुदाना स्थित ग्रेनाइट कटिंग एंड पॉलिशिंग प्लांट फिलहाल चालू हालत में है. यहां ग्रेनाइट कटिंग का काम किया जाता है.
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वेतन पर सौ करोड़ खर्च, फिर भी 11 में 10 खदानें बंद
रांची: जेएसएमडीसी से सरकार को कोई बड़ा राजस्व नहीं मिल रहा है़ वित्तीय वर्ष 2015-16 में जेएसएमडीसी का कुल वार्षिक टर्नओवर 112.30 करोड़ रुपये का है, जिसमें अन्य स्रोतों से आय 13.87 करोड़ रुपये है, जो निगम के एफडी से प्राप्त इंटरेस्ट है. यानी निगम की कुल आमदनी 126.17 करोड़ की है, जिसमें वेतन व […]
रांची: जेएसएमडीसी से सरकार को कोई बड़ा राजस्व नहीं मिल रहा है़ वित्तीय वर्ष 2015-16 में जेएसएमडीसी का कुल वार्षिक टर्नओवर 112.30 करोड़ रुपये का है, जिसमें अन्य स्रोतों से आय 13.87 करोड़ रुपये है, जो निगम के एफडी से प्राप्त इंटरेस्ट है. यानी निगम की कुल आमदनी 126.17 करोड़ की है, जिसमें वेतन व अन्य स्थापना मद में 100.49 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
निगम द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 8.85 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया गया. यानी निगम का शुद्ध लाभ महज 16.73 करोड़ रुपये का है. जेएसएमडीसी की नौ खदान दो वर्ष पूर्व तक चालू हालत में थीं. अभी जेएसएमडीसी का केवल सिकनी कोलियरी माइंस चालू है. शेष से उत्पादन पूरी तरह बंद है, जिसके चलते विभिन्न माइंस में काम करनेवाले पांच हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. जेएसएमडीसी का ही रांची के तुपुदाना स्थित ग्रेनाइट कटिंग एंड पॉलिशिंग प्लांट फिलहाल चालू हालत में है. यहां ग्रेनाइट कटिंग का काम किया जाता है.
सिकनी को नहीं मिल रहा है खरीदार : सिकनी कोलियरी भले ही चालू हालत में है, पर यहां से कोयला के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. कोल लिंकेज की सुविधा भी यहां से दी गयी है, पर इसके लिए भी कोई नहीं अा रहा है. बताया गया कि सीसीएल से अधिक दर होने की वजह से कोयला का खरीदार नहीं मिल रहा है. सिकनी की क्षमता 80 हजार टन प्रतिमाह की है, जबकि अभी केवल 25 हजार टन कोयले का ही उत्खनन हो पाता है, जिस कारण निगम की आय कम हो रही है.
खदानों को संचालित करने के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त : बंद पड़ी खदानों के संचालन के लिए निगम द्वारा ट्रांजेक्शन एडवाइजर को नियुक्त किया गया है. मल्टी नेशनल कंपनी प्राइस वाटर हाउस कूपर लिमिटेड को ट्रांजेक्शन एडवाइडजर नियुक्त किया गया है. निगम के एमडी विश्वनाथ शाह ने बताया कि 15 दिनों में वर्क आर्डर दे दिया जायेगा. इसके बाद यह कंपनी कंपनी बंद पड़ी खदानों का संचालन कैसे हो, इस पर निगम को सलाह देगी. साथ ही माइनिंग डेवलपर एंड अॉपरेटर(एमडीओ) को नियुक्त करने की सारी प्रक्रिया को ट्रांजेक्शन एडवाइजर द्वारा ही पूरी की जायेगी. इसके बाद एमडीओ ही पर्यावरण (इसी) और सीटीओ लेने का काम करेंगे. फिर माइंस कैसे संचालित होगा, इसकी सारी जवाबदेही एमडीओ की ही होगी.
1972 से है जेएसएमडीसी
संयुक्त बिहार सरकार ने बिहार राज्य खनिज विकास निगम की स्थापना वर्ष 1972 में की थी. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बीएसएमडीसी का बंटवारा करते हुए 7.5.2002 को झारखंड राज्य खनिज विकास निगम का गठन किया गया. अभी जेएसएमडीसी में कुल 277 पदाधिकारी व कर्मचारी हैं, जिसमें 19 अनुबंध पर हैं और 153 डेली वेजेज पर हैं, जिन्हें हाइकोर्ट के आदेश पर चतुर्थवर्ग कर्मचािरयों के न्यूनतम वेतन और डीए का लाभ मिलता है. निगम में छठे वेतनमान लागू है और इसके अनुरूप वेतन दिया जा रहा है.
भविष्य की परियोजना
जेएसएमडीसी को आवंटित ससंगदा आयरन ओर माइंस के लिए एनएमडीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनी खोली गयी है. बताया गया कि उत्खनन की प्रक्रिया में लगभग सात साल लग जायेगी. इसी प्रकार आवंटित गोवा कोल ब्लॉक के लिए बिहार राज्य खनिज विकास निगम के साथ ज्वाइंट वेंचर होना है. इस खदान से भी उत्पादन आरंभ होने में पांच से छह वर्ष लग जायेगा.
नही मिल रहा है पर्यावरण क्लीयरेंस
जेएसएमडीसी के एक अधिकारी ने बताया कि लाइम स्टोन की खदान सेमरा समतुला, बेमती बाना, कायनाइट का बहरागोड़ा, ग्रेफाइट का इसलामपुर व सुदना में स्टोन के दो प्लांट बंद हैं. लंबे समय से पर्यावरण क्लीयरेंस का मामला लंबित है. निगम ने क्लीयरेंस के लिए आवेदन दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के कोई भी खदान नहीं चल सकती, जिसके चलते निगम को बंद करना पड़ा है. इसके अलावा सुगिया जगलदगा, रौउता बुढ़ाखाप व जगेसर खास कोल ब्लॉक में आगे की कार्रवाई सीबीआइ जांच की वजह से नहीं हो रही है.
चेलांगी ग्रेनाइट प्रोजेक्ट खूंटी
बेंती बगदा लाइम स्टोन माइंस रांची
ज्योति पहाड़ी कायनाइट माइंस, पूर्वी सिंहभूम
सेमरा सलतुवा लाइन स्टोन माइंस, पलामू
सिरबोय कायनाइट माइंस, पूर्वी सिंहभूम
चांडुला सिमलगोडा स्टोन माइंस, साहेबगंज
सलहन लाइम स्टोन माइंस, रांची
मुहागेन तोलबोला ग्रेफाइट माइंस, विश्रामपुर
सुदना ग्राइंडिंग फैक्टरी, डालटनगंज
गोवा कोल ब्लॉक, लातेहार
जगलदगा कोल ब्लॉक, लातेहार
सभी खदानें शुरू हों तो होगी करोड़ों की आय
बताया गया कि सारे माइंस यदि चालू हो जायें, तो अकेले जेएसएमडीसी प्रतिमाह सौ से डेढ़ सौ करोड़ की आमदनी करेगा. तब राज्य की आमदनी का मुख्य स्त्रोत निगम बन जायेगा, पर इसमें अभी सात से आठ वर्ष लग सकते हैं.
अबतक जेएसएमडीसी के अध्यक्ष
नाम कब से कबतक
दीपक प्रकाश 28.10.2002 से 30.4.2005
दीपक प्रकाश 1.8.2005 से 4.5.2007
संतोष सत्पथी 25.2.2009 से 4.9.2009
एनएन सिन्हा 4.9.2009 से 4.4.2011
एके सरकार 4.4.2011 से 1.3.2013
सुुनील वर्णवाल 2.3.2013 से 22.7.2013
सत्येंद्र सिंह 23.7.2013 से 30.9.2013
विदेश सिंह 29.11.2013 से 25.1.2015
अरुण 30.1.2015 से 24.2.2015
डीके तिवारी 24.2.2015 से 5.5.2015
संतोष सत्पथी 5.5.2015 से 1.2.2016
यूपी सिंह 2.2.2016 से 8.6.2016
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