नयी दिल्ली : गुजरात में दलितों के उत्पीड़न का मामला संसद के दोनों सदनों में बुधवार को उठा. राज्यसभा में हंगामे के कारण जहां कार्यवाही बार-बार हंगामे के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी. वहीं लोकसभा में विपक्षी दलों ने जोर-शाेर से इस मुद्दे को उठाया. कांग्रेस ने संसद की संयुक्त समिति से मामले की जांच की मांग की. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे शर्मनाक घटना बताते हुए सरकार की ओर से उठाये गये कदमों की जानकारी दी. यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है. उल्लेख किया कि भाजपा शासन में उत्पीड़न का मामला कम हुआ है.
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया. हालांकि, हंगामे व नारेबाजी के बावजूद लोकसभा में प्रश्नकाल चलता रहा. लोकसभा में शून्यकाल में कांग्रेस सांसद के सुरेश ने इस मुद्दे को उठाया. इसके लिए आरएसएस व भाजपा पर निशाना साधा. आरोप लगाया कि हिंदुत्ववादी संगठन ‘दलित मुक्त भारत’ के लिए काम रहे हैं. भाजपा पर आरोप जड़ा कि अगले वर्ष होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहले समुदायों के ध्रुवीकरण की कोशिश के लिए यह सब प्रायोजित किया जा रहा है.
घटना दुर्भाग्यपूर्ण
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इसकी निंदा करने के लिए कोई शब्द नहीं है, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब ऐसे अत्याचार हुए हैं. मैं राज्य सरकार की तीव्र और प्रभावी कार्रवाई के लिए उसे धन्यवाद देता हूं.
सरकार दोषी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि गुजरात में दलितों पर हमला सामाजिक आतंक का एक उदाहरण है, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी ने नजरअंदाज किया है. मोदी सरकार पर दलितों व आदिवासियों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया.