श्रावण मास बुधवार से शुरू हो रहा है. शिव की पूजा के लिए इस मास का विशेष महत्व है. बाबा की नगरी देवघर में इस पूरे महीने विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का भी आयोजन किया जाता है. इस मेले में हर रोज हजारो श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाते हैं और मनवांक्षित फल के लिए प्रार्थना करते हैं. विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भगवान शंकर के कई मंत्र शास्त्रों में उल्लेखित हैं. इन मंत्रों के जाप और इसको साधने से साधक की हर इच्छा पूरी होती है. भगवान शंकर बड़े ही दयालू हैं वे भक्तों की थोड़ी भक्ति से भी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मन की मुरादें पूरी करते हैं. आज हम आपको कुछ विशेष मंत्रों से शिव को प्रसन्न करने के उपाय बता रहे हैं.
दरिद्रता के नाश के लिए
।।दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्।।
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय,
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय,
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय,
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय,
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय,
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय,
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय,
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ॥
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय,
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय,
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङग्चर्मवसनाय महेश्वराय ॥
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्,
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥
मृत्युभय व हानि से निजात के लिए शिव मंत्र
पञ्चवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।
अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।
दक्षै: करैर्वामकैश्च भुजंग चाक्षसूत्रकम्।
डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।।
इसी प्रकार मानसिक संताप, अशांति और बेचैनी दूर करने के लिए शिव चतुर्दशी को विशेष शिव मंत्र का जाप करना चाहिए. शिव चतुर्दशी को विशेष शिव मंत्र के जाप से समृद्धि, ऐश्वर्य की इच्छा पूरी हो जाती है. विशेष शिव मंत्र, शिवालय या घर के देवालय में पूजा कर मन ही मन बोलना चाहिए.
नमो रुद्राय महते सर्वेशाय हितैषिणे।
नन्दीसंस्थाय देवाय विद्याभयकराय च।।
पापान्तकाय भर्गाय नमोनन्ताय वेधसे।
नमो मायाहरेशाय नमस्ते लोकशंकर।।